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खंडवा

आठ साल पहले राइट ऑफ हुई सिटी स्केन मशीन से हो रही मरीजों की जांच

-दो साल से भाभा एटोमिक एनर्जी रिसर्च सेंटर ने भी नहीं दिया एक्यू सर्टिफिकेट-2010 में मिली थी, 2012 में हो चुकी कंडम, कई जिलों में हो चुकी है बंद-जिला अस्पताल में अब भी उपयोग में ले रहे पुरानी मशीन, बार-बार हो रही खराब

खंडवाJul 18, 2020 / 10:40 pm

मनीष अरोड़ा

आठ साल पहले राइट ऑफ हुई सिटी स्केन मशीन से हो रही मरीजों की जांच

-दो साल से भाभा एटोमिक एनर्जी रिसर्च सेंटर ने भी नहीं दिया एक्यू सर्टिफिकेट-2010 में मिली थी, 2012 में हो चुकी कंडम, कई जिलों में हो चुकी है बंद-जिला अस्पताल में अब भी उपयोग में ले रहे पुरानी मशीन, बार-बार हो रही खराब

खंडवा.
जिला अस्पताल के नैदानिक केंद्र में लगी सिटी स्केन मशीन आठ साल पहले राइट ऑफ (खारिज) होने के बाद भी उपयोग में लाई जा रही है। सबसे बड़ी बात ये है कि इस मशीन का दो साल से एटोमिक एनर्जी रिसर्च सेंटर भाभा द्वारा भी एक्यू सर्टिफिकेट जारी नहीं किया गया है। इसके बावजूद पुरानी कंडम मशीन को बिना सर्टिफिकेट उपयोग में लाया जा रहा है। आठ साल पहले चलन से बाहर होने के कारण इसका मेंटेनेंस भी स्वास्थ्य विभाग को भारी पड़ रहा है। बार-बार खराब होने से मरीजों को भी परेशान होना पड़ रहा है।
आधुनिक स्वास्थ्य सेवाएं देने के उद्देश्य से मप्र सरकार ने वर्ष 2002 में प्रदेश के 11 जिलों के नैदानिक केंद्रों में सिटी स्केन मशीन दी थी। अमेरिकी कंपनी ने एक करोड़ तीस लाख रुपए कीमत की ये मशीन वर्ष 2012 में समयावधि पूरी होने से राइट ऑफ करते हुए चलन से बाहर कर दी। प्रदेश के कई जिलों में तो ये मशीन नैदानिक केंद्रों से हटाकर नई मशीन लगा दी गई, लेकिन खंडवा जिला अस्पताल के नैदानिक केंद्र में ये मशीन आज भी चल रही है। हर छह माह में इस मशीन का मेंटेनेंस भी किया जाता है। पुरानी मशीन होने से इसके पॉटर्स मिलना भी मुश्किल हो रहा है। पिछले सप्ताह भी ये मशीन आठ दिन तक बंद रही थी।
हर दो साल में होता है टेस्ट
एटोमिक एनर्जी रिसर्च (एईआरबी) भाभा द्वारा देशभर में सिटी स्केन, एमआरआई, एक्स-रे मशीनों के रेडिएशन की जांच की जाती है। मशीन की गुणवत्ता के लिए क्वालिटी एक्यूरेंस (एक्यू) टेस्ट किया जाता है, फिर सर्टिफिकेट जारी किया जाता है। जिससे ये पता चलता है कि मशीन एक बार में कितना रेडिएशन छोड़ रही है और ये मानव शरीर के लिए कितना घातक है। जिसके बाद सर्टिफिकेट जारी किया जाता है। खंडवा में लगी सिटी स्केन मशीन का दो साल से एक्यू टेस्ट नहीं हुआ है।
एक तकनीशियन के भरोसे मशीन
सिटी स्केन मशीन के लिए नियमानुसार पूरा स्टाफ होना चाहिए। जिसमें एक रेडियो लॉजिस्ट, तीन तकनीशियन, स्टाफ नर्स और वार्ड बॉय शामिल है। जिला अस्पताल की सिटी स्केन मशीन पर एक ही तकनीशियन कार्यरत है वो भी रोगी कल्याण समिति से। तकनीशियन के बीमार होने, छुट्टी जाने पर भी ये मशीन बंद रहती है। रेडियो लॉजिस्ट नहीं होने से मशीन से हुई जांच को इंदौर के प्रायवेट सिटी स्केन सेंटर में भेजा जाता है। वहां से रेडियो लॉजिस्ट इसकी रिपोर्ट ऑन लाइन भेजता है।
एक मिनट में सिर्फ दो इमेज
नैदानिक केंद्र में लगी मशीन कितनी पुरानी हो चुकी है इसका अंदाज इस बात से ही लगाया जा सकता है कि ये एक मिनट में सिर्फ दो इमेज (फोटो) लेती है। जबकि किसी भी आधुनिक सिटी स्केन मशीन से चार सैकंड में 125 इमेज निकलती हैं। मेडिकल कॉलेज को भी आधुनिक सिटी स्केन मशीन मिली हुई है, जो कि चार सैकंड में 64 इमेज लेती है। हालांकि इस मशीन को अभी तक इंस्टॉल नहीं किया गया है। नैदानिक केंद्र के साइड में बन रहे नए डायग्नोस्टिक सेंटर में इसे लगाया जाना है।
अच्छी कंडिशन में हैं, इसलिए चला रहे
महंगी मशीन है, कंपनी राइट ऑफ नहीं करती। अच्छी कंडिशन में हैं, इसलिए चला रहे हैं। एक्यू टेस्ट के लिए भी लिखा हुआ है। नई मशीन की मांग पिछले डेढ़ साल से कर रहे है। मेडिकल कॉलेज की सिटी स्केन, एमआरआई मशीन भी आ गई है, जिसे मेडिकल कॉलेज प्रबंधन इंस्टॉल कराएगा।
डॉ. ओपी जुगतावत, सिविल सर्जन

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