जैनाबाद के पास स्थित आहूखाना जहां पर मुमाताज को दफनाया गया था। यह आहूखाना पहले शिकारगाह था। शहजादा आसीफने बताया कि आहू याने हिरण खाना मतलब घर। यहां बाद में गार्डन भी बनाया गया। इसमें गुलाब के फूल लगाए गए थे। इसमें पानी महलगुराड़ा से आता था। 14 एकड़ में यह आहूखाना फैला हुआ है।