किसान शुरू करें बोवनी, अच्छा होगा उत्पादन
बारिश का रबी पर असर नहीं, कृषि वैज्ञानिकों की सलाह
खरगोन. मानसून की विदाई के बाद भी आसमान से बरसे पानी ने रबी सीजन की बोवनी को एक माह पीछे धकेल दिया है। हर साल अक्टूबर माह से रबी सीजन की शुरुआत हो जाती है। नवंबर तक सरसो व लहसुन की बोवनी पूरी हो जाती है। जबकि किसान 30 फीसदी तक गेहूं की बोवनी पूरी कर लेते हैं लेकिन इस साल खरीफ के पूरे सीजन बारिश हुई। रबी सीजन तक जारी है। यही छुटपुट बारिश की संभावना 15 नवंबर तक है। ऐसे में किसान गेहूं सहित अन्य फसलों की बुआई को लेकर असमंजस में हैं क्योंकि खरीफ सीजन ने पहले मात दे दी है। इधर, कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि खेत बोवनी योग्य हो गए हैं तो वे बुआई कर सकते हैं। हल्की बारिश का उत्पादन पर असर नहीं पड़ेगा।
कृषि विभाग ने रबी सीजन में गेहूं, चना व सरसों सहित अन्य फसलों की बोवनी के लिए रकबा तय किया है। इसमें गेहूं का रकबा 2.53 लाख हेक्टेयर तय किया है। यह आंकड़ा बीते वर्ष की तुलना 42 हेक्टेयर ज्यादा है। वैसे तो रबी सीजन को लेकर अक्टूबर में ही किसान खेत तैयार कर लेते हैं, लेकिन अतिवृष्टि के बाद रिमझिम बारिश से अब तक खेतों में पानी भरा है। गेहंू की बोवनी को लेकर भी किसानों को चिंता सता रही है। इस बार कड़ाके की ठंड का अनुमान है। इस कारण किसान चने की बोवनी में रुचि नहीं ले रहे हैं।
औसत से गेहूं का उत्पादन ज्यादा होने का अनुमान
कृषि वैज्ञानिकों ने बताया रबी सीजन में गेहूं और चने पर इस साल भी किसान का ज्यादा फोकस है। इस बार अतिवृष्टि के चलते खेतों में अब तक नमी है। किसान पिछली फसल का सही ढंग से उत्पादन नहीं ले पाए, वहीं अगली फसल के लिए जुताई भी नहीं हो सकी। गेहंू की फसल के लिए अधिकतम 20 अक्टूबर तक का समय उपयुक्त होता है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो सका।
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