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खरगोन

जब पंडितों ने अपनाई यह पद्धति को लोगों ने दांतों तले दबा ली उंगली

अजब-जगब बदला ट्रैंड, पोथी की जगह एप से पूजन, हवन करा रहे पंडित -बाकी माता मंदिर में चल रहे शतचंडी यज्ञ में देखने को मिला नवाचार
 

खरगोनDec 05, 2019 / 07:27 pm

Gopal Joshi

Innovation was seen in Shatchandi Yagya

खरगोन. मोबाइल एप के जरिए पूजन कराते पंडित।

खरगोन.
डिजिटल क्रांति ने अपनी पकड़ हर जगह बना ली है। दफ्तर-कार्यालयों से घर-घर तक पहुंची यह तकनीक अब धर्म-कर्म और आस्था में भी पकड़ बनाने लगी है। इसका ताजा उदाहरण शहर के बाकी माता मंदिर में हो रहे शतचंडी यज्ञ में देखने को मिला। यहां पूजन-हवन कराने आए पंडित पोथी छोड़ एड्रायड मोबाइल का सहारा ले रहे हैं। मोबाइल एप व पीडीएफ फाइल से मंत्रोच्चार कर पूजन करा रहे हैं।
बाकीमाता मंदिर में चल रहे शतचंडी महायज्ञ में युवा पंडित पोथी पुराण में देख कर नहीं बल्कि मोबाइल स्क्रीन पर पीडीएफ फाइल पढ़कर स्थापित देवी, देवताओं का पूजन व अनुष्ठान करा रहे हैं। पंडितों द्वारा अपनाए इस नवाचार को देखकर लोग भी अचरज में है। आचार्य सुधीर परसाई बाबा ने बताया उनके साथ के युवा पंडित हाईटेक तरीकों को अपना रहे हैं। उन्होंने बताया डाकोर गुजरात के जिज्ञेश जोशी ने विभिन्न पूजन एवं आव्हान के लिए मोबाइल पर विप्रपुत्र पथ एप बनाया है। इसमें 27 प्रकार के मंडलो की आकृति एवं स्थापन, आव्हान पूजन के मंत्र है। विप्रपुत्र पथ नामक 508 पेज का ग्रंथ भी प्रकाशित हैं। इस ग्रंथ को पीडीएफ फार्मेट में भी कन्वर्ट किया है। प्रायश्चित, यज्ञोपतिव धारण विधि, मंडप पूजन, मंत्र, सुतक निर्णय, पुण्याहवाचन सहित अन्य पूजन विधि एप में विस्तार से है।
एप अधिक सुविधाजनक
पंडित वैभव भट्ट, पंकज शर्मा, प्रशांत वोरे ने बताया अनुष्ठान के समय ग्रंथ तो रहते ही हैं लेकिन एप के जरिए पूजन करवाना अधिक सुविधा जनक है। इसके अलावा अन्य एप में विभिन्न स्त्रोत, पाठ है। इसके जरिए भी पूजन कराया जा रहा है।
महायज्ञ की पूर्णाहुति शनिवार को
मंदिर में सप्ताह भर चलने वाले शतचंडी महायज्ञ में रोजाना पीठ पूजन के बाद देवीपाठ एवं स्वाहाकार जारी है। इसकी पूर्णाहुति रूद्र स्वाहाकार के साथ शनिवार को होगी। जम्बू ब्राह्मण समाज के देवानंद पागड़े ने बताया पूर्णाहुति एवं महाआरती में मंदिर में स्थापित नौ देवियों को छप्पन भोग लगाएंगे। महिला मंडल की रश्मि खोड़े, सुलोचना परसाई ने बताया समाज की महिलाएं छप्पन भोग अपने घर से बना कर माता को समक्ष रखेंगी।

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