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खरगोन

विधानसभा में गर्माया कर्ज माफी का मुद्दा, पूर्व कृषि मंत्री ने रखी मांग, दोबारा शुरु हो ऋणमाफी योजना

बजट भाषण में उठाई मांग, कांग्रेस सरकार में 27 लाख किसानों का 11 हजार करोड़ रुपए का कर्जा हुआ माफ

खरगोनMar 17, 2021 / 10:31 am

हेमंत जाट

kishan karjmafi yojna in mp

अन्नदाता किसानों का ऋण माफ नहीं

खरगोन.
प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के चलते कर्ज माफी की प्रक्रिया भी अधर में अटक गई। पूर्व कृषि मंत्री और क्षेत्रीय विधायक सचिन यादव ने मंगलवार को बजट प्रावधान पर विधानसभा में अपना भाषण देते हुए राज्य सरकार से अनुरोध किया कि किसानों की ऋण माफी योजना की दोबारा शुरुआत की जाए। उन्होंने कहा कि हमारी कांग्रेस की सरकार ने किसान ऋण माफी योजना का ऐतिहासिक कार्यक्रम चलाकर 27 लाख किसानों के लगभग 11 हजार करोड़ रुपए से अधिक का कर्जमाफ करने का इतिहास रचा है। विधायक यादव ने विधानसभा में कहा कि भाजपा की यह सरकार किसानों की कर्जमाफी नहीं कर रही है। जबकि एक समाचार के अनुसार लगभग 1 लाख 15 हजार करोड़ रुपए के बड़े-बड़े उद्योगपतियों के ऋणों को राइट ऑफ करने का काम सरकार ने किया है। तो फिर अन्नदाता किसानों का ऋण माफ क्यों नहीं किया जाता। पूर्व कृषिमंत्री ने सदन में बैठे कृषि मंत्री कमल पटेल से पुन: अनुरोध किया कि ऋण माफी योजना की प्रक्रिया को पुन: शुरू किया जाए।
भाजपा शासन में 23 हजार किसानों ने की आत्महत्या
सचिन यादव ने आरोप लगाया कि ंभाजपा सरकार की किसान विरोधी नीतियों के कारण भाजपा के 15 वर्षीय शासनकाल में 23 हजार किसानों को आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ा। उसके बावजूद सरकार ने कोई सबक नहीं लिया। उल्टे किसान विरोधी काले कानूनों ने उसे और हताष कर दिया है। सरकार किसानों को सम्मान देने के बजाय उनका उपहास उड़ा रही है। प्रधानमंत्री सम्मान निधि योजना में 6 हजार देने की बात कही गई थी। पांच व्यक्ति का परिवार है तो मात्र उनके हिस्से में चंन्द कुछ ही रुपए आते हैए और सरकार वाहवाही लूटने की यह योजना उनका मजा उड़ाने के लिए चलाती जा रही है।
बजट में अनदेखी
यादव ने कहा कि किसानों के नाम पर हमारे इस विभाग का नाम किसान कल्याण और कृषि विकास है। बजट को देखकर ऐसा लगा कि किसानों के कल्याण के लिए कोई रूपरेखा तैयार नहीं की गयी। उनके दु:खों को हरने के लिए कोई कार्यक्रम या योजना नहीं बनाई गई है। न ही कृषि विकास के लिए कोई कार्यक्रम है। सारी योजनाएं कांग्रेस शासनकाल में बनाई और चलाई गई थी।

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