दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे…
सत्ता के चक्रव्यूह को भेदने लांघी जा रही सारी सीमाएं
दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे…
कोलकाता. बशीर बद्र का यह मशहूर शेर कि दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे, जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिंदा न हों, १७ वें लोकसभा चुनाव में बेमानी साबित हो रहा है। सत्ता के चक्रव्यूह को भेदने के लिए सारी सीमाएं लांघी जा रही है। ऐसा लग रहा है कि यह लोकसभा चुनाव नहीं, बल्कि बहुत बड़ा युद्ध लड़ा जा रहा है। युद्ध में भी कुछ कायदे-कानून होते हैं, लेकिन इस युद्ध में तो मर्यादा भी टूटती नजर आ रही है। सभी राजनीतिक दल के नेता एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप में लगे हुए है। चुनावी रैली से नेता कभी व्यक्तिगत टिप्पणी करते नजर आ रहे हैं तो कभी राजनीतिक दल को निशाना बनाते दिख रहे हैं। इस क्रम में कई नेताओं की जुबान लगातार फिसलती दिख रही है। सीएम ममता बनर्जी ने पुरुलिया में एक चुनावी रैली के दौरान कहा था कि पीएम नरेंद्र मोदी को लोकतंत्र का मजबूत तमाचा पडऩा चाहिए। पीएम मोदी को लेकर ममता बनर्जी के बयान के बाद केन्द्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्वीट कर जवाब दिया है। उन्होंने बशीर बद्र का शेर पढ़ते हुए नसीहत दी है कि ममता जी, आज आपने सारी हदें पार कर दीं, आप प्रदेश की मुख्यमंत्री हैं और मोदी जी देश के प्रधानमंत्री हैं, कल आपको उन्हीं से बात करनी है, इसलिए दायरे में ही जुबानी जंग होनी चाहिए।
दरअसल ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला था और कहा था कि मैंने ऐसा झूठा प्रधानमंत्री नहीं देखा। जब चुनाव आते हैं तो राम नाम जपने लगते हैं। 5 साल पहले उन्होंने अच्छे दिनों की बात की थी, लेकिन बाद में नोटबंदी कर दी। वह संविधान भी बदल देंगे। ममता ने कहा कि मैं बीजेपी के नारों में विश्वास नहीं रखती, पैसा मेरे लिए कोई मायने नहीं रखता, लेकिन जब नरेंद्र मोदी बंगाल आकर कहते हैं कि टीएमसी लुटेरों से भरी पड़ी है तो मेरा मन करता है कि लोकतंत्र का थप्पड़ मोदी को लगना चाहिए।
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