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कोलकाता

बंगाल: राजनीति पर पड़ेगा असर, ममता के हौसले पस्त

तीन पड़ोसी देशों के केवल गैर मुस्लिमों को बिना दस्तावेज नागरिकता देने वाले नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) 2019 का संसद के भीतर और बाहर विरोध बढ़ गया है। सोमवर देर रात लोकसभा में आसानी से पारित यह बिल बुधवार को राज्यसभा में पेश हो गया है। इसका असर पश्चिम बंगाल की राजनीति पर पडऩा तय है, इसलिए इस फैसले से बंगाल भाजपा बहुत खुश है

कोलकाताDec 11, 2019 / 05:16 pm

Rabindra Rai

बंगाल: राजनीति पर पड़ेगा असर, ममता के हौसले पस्त

बंगाल: राजनीति पर पड़ेगा असर, ममता के हौसले पस्त

कोलकाता.
तीन पड़ोसी देशों के केवल गैर मुस्लिमों को बिना दस्तावेज नागरिकता देने वाले नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) 2019 का संसद के भीतर और बाहर विरोध बढ़ गया है। सोमवर देर रात लोकसभा में आसानी से पारित यह बिल बुधवार को राज्यसभा में पेश हो गया है। इसका असर पश्चिम बंगाल की राजनीति पर पडऩा तय है, इसलिए इस फैसले से बंगाल भाजपा बहुत खुश है। प्रदेश भाजपा महासचिव सायंतन बसु का दावा है कि इस विधेयक से तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के हौसले ठंडे हो गए। वह शरणार्थियों को यह कहकर डरा रहीं थीं उन्‍हें अपने अधिकार छोडऩे होंगे और नागरिकता के आवेदन के लिए उन्‍हें छह साल इंतजार करना होगा।

आवेदन के लिए इंतजार नहीं
लोकसभा में मंगलवार को पास हुए नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 में भारतीय नागरिकता पाने का इंतजार कर रहे योग्‍य शरणार्थियों के भारत में निवास की न्‍यूनतम अवधि घटाकर छह से पांच साल कर दी गई है। इस‍ बदलाव की वजह से दिसम्बर 2014 से पहले भारत में प्रवेश करने वाले ऐसे शरणार्थियों को अब नागरिकता के आवेदन के लिए एक दिन भी इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

प्रवास की न्‍यूनतम अवधि 5 साल
इससे पहले बिल में भारत में प्रवास की न्‍यूनतम अवधि को 11 साल से घटाकर 6 साल किया गया था। अब इसमें एक और साल की कमी करने से पांच साल पहले भारत में आए हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी शरणार्थियों की इंतजार की घडिय़ां अब खत्‍म हो गई हैं। साल 2016 में मूल नागरिकता बिल में प्रस्‍तावित था कि भारत में न्‍यूनतम छह साल प्रवास करने वाले शरणार्थियों की नागरिकता के आवेदन पर विचार किया जाएगा। उस स्थिति में जल्‍द से जल्‍द आवेदन की तारीख दिसम्बर 2020 होती। मतलब 31 दिसम्बर 2014 की कट ऑफ से छह साल बाद की तारीख, जिसका उल्‍लेख बिल में किया गया है। उस लिहाज से शरणार्थियों को एक साल और इंतजार करना पड़ता।

31 दिसम्बर 2014 के पहले आए शरणार्थियों को लाभ
नए विधेयक में असमंजस की कोई गुंजाइश नहीं है। जो शरणार्थी दिसम्बर 31, 2014 के पहले आए थे उनकी न्‍यूनतम अवधि पूरी होने में तीन सप्‍ताह से भी कम का समय बचा है। बिल को राज्‍यसभा से पास होकर राष्‍ट्रपति की मंजूरी मिलने में शायद इससे ज्‍यादा समय लगे।

बंगाल भाजपा के नेता खुश
बंगाल भाजपा अध्‍यक्ष और सांसद दिलीप घोष का कहना है कि वे लोकसभा में बिल के पास होने से बहुत खुश हैं। उन्‍होंने कहा कि ममता बनर्जी ने शरणार्थियों के वोट ले लिए लेकिन उन्‍हें नागरिकता देने पर कभी विचार नहीं किया। घोष ने बताया कि प्रदेश भाजपा ने अक्‍टूबर में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से शरणार्थियों के लिए इस वेटिंग पीरियड को घटाने की बात कही थी ताकि उनके बीच कोई संदेह न रहे।

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