कोई निर्देश या निषेध नहीं: कॉलेज
कॉलेज शासी निकाय के अध्यक्ष गोपाल दास ने कहा कि कोई निर्देश या निषेध नहीं था और कॉलेज के अधिकारी सभी की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हैं। शिक्षिका जल्द फिर से कक्षाओं में पढ़ाना शुरू करेंगी। कोई गलतफहमी नहीं है। हमने उनके साथ लंबी चर्चा की। शुरुआती घटनाक्रम कुछ संवादहीनता के कारण हुआ। एलजेडी लॉ कॉलेज में पिछले तीन साल से शिक्षण कार्य कर रहीं संजीदा कादर ने पांच जून को इस्तीफा दे दिया था। उनका आरोप था कि कॉलेज प्रशासन ने उन्हें 31 मई के बाद कार्यस्थल पर हिजाब न पहनने का निर्देश दिया था।उन्होंने कहा कि कॉलेज के शासी निकाय के आदेश ने मेरे मूल्यों और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। इस बीच राज्य के मंत्री सिद्दीकुल्लाह चौधरी कहा कि सरकार की ओर से मैं कानून मंत्री के समक्ष इस मुद्दे को उठाऊंगा, ताकि यह पता लगाया जा सके कि हिजाब पहनने के कारण शिक्षिका को नौकरी छोडऩे के लिए मजबूर करने वाले संबंधित संस्थान के खिलाफ क्या कोई कार्रवाई की जा सकती है।
संस्थान को शिक्षिका से माफी मांगनी चाहिए: मंत्री
शिक्षिका के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए मंत्री और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष सिद्दीकुल्लाह चौधरी ने कहा कि कॉलेज के शासी निकाय के अध्यक्ष को शिक्षिका से माफी मांगनी चाहिए। वरिष्ठ मुस्लिम नेता ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि क्या कॉलेज के अधिकारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भाजपा के इशारे पर काम कर रहे हैं। मंत्री ने आरोप लगाया कि संस्थान का प्रबंधन छात्रों में प्रतिगामी (पीछे ले जाने वाले) मूल्यों को भर रहा है और उन्हें एक शिक्षिका के हिजाब पहनने के खिलाफ भडक़ाने की कोशिश कर रहा है।चौधरी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में कहा कि एक विधि अध्ययन संस्थान के प्रबंधन का प्रमुख इस तरह का फरमान कैसे जारी कर सकता है। ऐसे संस्थान में बच्चों से संविधान और कानूनों के बारे में सीखने की उम्मीद की जाती है। हमने सुना है कि उन्हें सिख पुरुषों के पगड़ी पहनने और महिलाओं के सिर पर दुपट्टा बांधने पर कोई आपत्ति नहीं है। फिर वह मुसलमानों को क्यों निशाना बना रहे हैं।