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कोलकाता

क्या किताबों का विकल्प बन गया है मोबाइल

– युवाओं की मिलीजुली प्रतिक्रिया

कोलकाताDec 15, 2019 / 03:15 pm

Vanita Jharkhandi

क्या किताबों का विकल्प बन गया है मोबाइल

क्या किताबों का विकल्प बन गया है मोबाइल

कोलकाता

. बीते कुछ सालों में संवाद के अलावा मनोरंजन, शिक्षा जैसे विषयों से जुड़ चुका मोबाइल क्या किताबों का विकल्प बन गया है। इस प्रश्न पर युवाओं की मिली जुली प्रतिक्रिया सामने आई है। कोई तकनीक के इस नए साधन को ज्यादा स्मार्ट बता रहा है तो कोई किताबों का कोई विकल्प नहीं होने की बात कह रहा है।
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मोबाइल फोन जीवन का अहम हिस्सा बन गया है। पुस्तकें भी मोबाइल, टैब पर पढ़ लेते हैं। पुस्तक ढोने की जरूरत नहीं पड़ती। ऑनलाइन किताबों पर लोगों की समीक्षाएं भी उपलब्ध हैं, जिनसे उनकी अंर्तसामाग्री के बारे में समझ विकसित हो जाती है।
शुभम जैन, सीए छात्र

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पुस्तक हर समय की अच्छी दोस्त है। पुस्तक हमेशा से ही ज्ञान देने वाली होती है। ऐसे में जिनको ज्ञान चाहिए उनके लिए पुस्तक से अच्छा विकल्प नहीं है।

आदर्श जायसवाल, बैंकिंग परीक्षा की तैयारी
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किताबें अच्छी दोस्त हैं। वहीं यूट्यूब से भी पढ़ाई हो रही है। रचनात्मक कक्षाएं हो रही हैं। ऑनलाइन शैक्षणिक सलाह भी उपलब्ध है। लोग उनसे जुडऩा पसन्द कर रहे हैं।

वेदान्त शुक्ला, बीएससी, द्वितीय वर्ष
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सोशल मीडिया से भी ज्ञान मिलता है। किताब ढोने की बजाए उसे ऑनलाइन पढऩा अच्छा लगता है।
प्रज्ञा मित्तल, बीकॉम प्रथम वर्ष

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आराम से बैठकर किताब पढऩा सुकुन देता है। सोच भी विकसित होती है। सोशल मीडिया में हमें जानकारी जरूर मिलती है पर सोच कहीं अटक जाती है। किताबों को अधिक तव्वजो देती हूं और देती रहूंगी।

वैष्णवी ब्रम्हे, बीकॉम प्रथम वर्ष
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थोड़ा भी संवेदनशील व्यक्ति होगा तो उसे पुस्तक पर ही अधिक भरोसा होगा। किताब हमेशा से ही अपने अस्तित्व को सार्थक करती है। यही कारण है कि साढ़े पांच हजार साल पुरानी गीता की प्रासंगिकता आज भी बनी हुई है।
सूरज साही, शिक्षक

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