जारी कोविड-19 महामारी ने भारतीय अर्थव्यवस्था को गहराई से प्रभावित करने के साथ बड़ी संख्या में लोगों से रोजगार छिना है। भारत के शहरी लोगों कोे लिए कोविड-19 महामारी और बेरोजगारी सबसे बड़ी चिंता का विषय बन गई है। शहरी लोग इसके गहन चिंता में डूबे हुए हैं और देश में राजनीतिक भ्रष्टाचार, आर्थिक घोटाले और गरीबी के साथ ही हिंसा और लूट-खसोट बढ़ने के डर के साए में जी रहे हैं।
कोलकाता•Aug 06, 2020 / 11:52 pm•
Manoj Singh
Kovid-19 hit hard: कोविद महामारी और बेरोजगारी की तीब्र चिंता में डूबे भारतीय शहरी लोगों- सर्वे
देश में राजनीतिक भ्रष्टाचार, आर्थिक घोटाले और गरीबी के साथ ही हिंसा और लूट-खसोट बढ़ने के डर के साए में जी रहे हैं लोग
कोलकाता
जारी कोविड-19 महामारी ने भारतीय अर्थव्यवस्था को गहराई से प्रभावित करने के साथ बड़ी संख्या में लोगों से रोजगार छिना है। भारत के शहरी लोगों कोे लिए कोविड-19 महामारी और बेरोजगारी सबसे बड़ी चिंता का विषय बन गई है। शहरी लोग इसके गहन चिंता में डूबे हुए हैं और देश में राजनीतिक भ्रष्टाचार, आर्थिक घोटाले और गरीबी के साथ ही हिंसा और लूट-खसोट बढ़ने के डर के साए में जी रहे हैं। इसका खुलासा बहुराष्ट्रीय बाजार अनुसंधान और एक परामर्श फर्म इप्सोस के ताजा सर्वेक्षण से हुआ है।
इप्सोस ने गुरुवार शाम इस सर्वे रिपोर्ट का एक हिस्सा जारी किया, जिसके अनुसार भारत के शहरी लोगों के लिए सबसे बड़ी चिंता कोविड-19 महामारी है।
इसके अलावा सर्वे में देश के शहरी नागरिकों ने व्यापक पैमाने पर लूट-खसोट, आर्थिक घोटाले, राजनीतिक भ्रष्टाचार, गरीबी, सामाजिक असमानता, अपराध, हिंसा और स्वास्थ्य सेवा पर खर्च बढ़ने की गहरी चिंता जाहिर की है।
कोरोना वायरस के साथ और बेरोजगारी, दो बड़ी चिंताओं से भारत में उभरी लोगों की भावनाएं काफी हद तक वैश्विक स्तर पर समान हैं। इप्सस की ओर से उक्त सर्वे के आधार पर जारी विज्ञप्ति के अनुसार वैश्विक स्तर पर लोगों को हैरान करने वाले मुद्दों में गरीबी, सामाजिक असमानता, वित्तीय और राजनीतिक भ्रष्टाचार, अपराध और हिंसा और स्वास्थ्य सेवा से संबंधित समस्याएं हैं।
इप्सोस के सीईओ अमित अदकर ने इस दिन नई दिल्ली में कहा कि वैश्विक नागरिकों और भारत के शहरी लोगों की चिंताएं और अनुभव में काफी समानता है। लेकिन भारत के शहरी लोगों कोरोनावायरस और रोजगार के अभाव को लेकर बहुत अधिक डरे हुए हैं। भारत में कोविड-19 का अभी डर खत्म नहीं हुआ है और यह नौकरियों, जीवन स्तर और स्वास्थ्य सेवाओं की लागत पर व्यापक रूप से प्रभाव डाल रहा है। भ्रष्टाचार का स्तर बढ़ने का डर है, क्योंकि सब कुछ प्रवाह की स्थिति में रहता है।
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