उल्लेखनीय है कि पिछड़ा वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाले सभी राजनीतिक दलों के विधायकों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ हुई बैठक में जाति प्रमाण पत्र पाने में हो रही देरी की शिकायत की थी। गत जुलाई के प्रथम सप्ताह में हुई उक्त बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने समस्त जिला कलक्टरों, महकमा शासक और जिला परिषद के अध्यक्षों को इस संदर्भ में सक्रियता बढ़ाने तथा जाति प्रमाण पत्र के आवेदकों की हैरानी कम करने की दिशा में ठोस कदम उठाने की हिदायत दी है।
ऑनलाइन की सुविधा उपलब्ध: पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग ने आवेदकों को ऑनलाइन की सुविधा उपलब्ध कराई है। विभाग के एक शीर्ष अधिकारी के अनुसार आवेदक विभाग की वेबसाइट पर मौजूद फॉर्म को डाउनलोड करने के पश्चात् मांगी गई जानकारियों को पूरा कर जमा कर सकते हैं। आवेदन जमा होने के बाद लाभार्थी के नाम पावती रसीद जारी की जाएगी। आवेदन करने के अधिकतम 90 दिन के भीतर जाति प्रमाण पत्र डाक के मार्फत आवेदक के ठिकाने पर भेजने का प्रावधान रखा गया है।
बिना किसी कागजात के आवेदन संभव: राज्य सरकार ने पिछड़ा वर्ग के उन लोगों को भी अधिक राहत देने का निर्णय लिया है, जिनके पास कोई आवेदन करने संबंधी कोई कागजात नहीं है। अधिकारी ने बताया कि बिना किसी कागजात के भी आवेदक जाति प्रमाण पत्र का आवेदन कर सकता है। ऐसे आवेदन पत्रों की स्थानीय स्तर पर जांच पड़ताल करने के बाद एसडीओ कार्यालय में सुनवाई (हियरिंग) किए जाने के बाद जाति प्रमाण पत्र जारी करने का विधान है। जिला स्तर पर लग रहे कैम्प:
पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग ने राज्य के समस्त जिलों में कैम्प लगाकर युद्धस्तर पर जाति प्रमाण पत्र जारी करने का काम कर रहा है। शहरांचल में नगरपालिका स्तर पर और गांवों में प्रखण्ड स्तर पर कैम्प लग रहे हैं। कैम्पों में आवेदन पत्र स्वीकार करने तथा जाति प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं।
देश में अव्वल रहा पश्चिम बंगाल: जाति प्रमाण पत्र जारी करने के मामले में पश्चिम बंगाल अव्वल रहा है। केंद्र सरकार ने गत जुलाई में ही राज्य सरकार को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया है। विभाग के अनुसार गत 7 वर्षों में राज्य में अनुसूचित जाति और ओबीसी के 67 लाख 29 हजार 728 और जनजाति के 6 लाख 90,000 सर्टिफिकेट जारी किए गए हैं।
क्या कहते हैं विभागीय मंत्री: राज्य के पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के मंत्री राजीव बनर्जी ने पत्रिका को बताया कि उनका विभाग केवल अगस्त २०१९ में एससी, एसटी और ओबीसी के कुल १,३८,००० सर्टिफिकेट जारी कर रिकार्ड बनाया है। पिछली सरकार के कार्यकाल में सालाना ११-१२ हजार सर्टिफिकेट जारी किए जाते थे। अब सालाना ६-७ लाख सर्टिफिकेट जारी किए जा रहे हैं। ताकि पिछड़ा वर्ग के लोगों खासकर विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति पाने और अन्य सरकारी सुविधाएं पाने में सहूलियत हो।