राजनीतिक पृष्ठभूमि 1977 के लोकसभा चुनाव से पहले जादवपुर संसदीय सीट अस्तित्व में आई थी यह सीट माकपा की गढ़ रही। वर्ष १977 और 1980 के चुनाव में माकपा के कद्दावर नेता सोमनाथ चटर्जी यहां से सांसद चुने गए। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उठी सहानुभूति लहर में वे अपनी सीट बचाने में असफल रहे और कांग्रेस की उम्मीदवार ममता बनर्जी से 1984 में हार गए। वर्ष 1989 के चुनाव में एकबार फिर बाजी पलट गई और माकपा की मालिनी भट्टाचार्य ने कांग्रेस की ममता बनर्जी को हरा दिया। 1996 में फिर बदलाव हुआ और कांग्रेस की कृष्णा बोस सांसद चुनीं गईं। 1998 में भी कृष्णा बोस को ही सफलता मिली, 1999 में कृष्णा बोस ने तृणमूल कांग्रेस का साथ लिया और संसद में पहुंचने में सफल रहीं। वर्ष 2004 में फिर बदलाव हुआ 3 बार से लगातार जीत रहीं कृष्णा बोस को माकपा के सुजन चक्रबर्ती ने हरा दिया। वर्ष 2009 में तृणमूल कांग्रेस के कबीर सुमन कबीर जीते।
57 फीसदी शहरी आबादी 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की आबादी 2,27,3479 है। 42.24 फीसद ग्रामीण व 57.76 प्रतिशत शहरी आबादी है। अनुसूचित जाति का ्रप्रतिशत 24.5 है। मतदाताओं की संख्या 1802234 है। वर्ष 2014 के चुनाव में यहां 79.99 फीसदी ,जबकि 2009 के चुनाव में यहां पर 81.47 फीसदी मतदान हुआ था।
7 विधानसभा हैं इस लोकसभा में ं बारुइपुर, बारुइपुर पश्चिम, सोनारपुर दक्षिण, जाधवपुर सोनारपुर उत्तर, टालीगंज, भांगड़ 2014 का जनादेश वर्ष 2014 के चुनाव में यहां तृणमूल कांग्रेस के डॉक्टर सुगात बोस को 5,82,244 माकपा के सुजन चक्रवर्ती को 4,59,041, भाजपा के उम्मीदवार स्वरूप प्रसाद घोष को 1,55,511 वोट मिले।