राज्यपाल ने फैसले पर लगा दी मुहर
अधिसूचना में यह भी बताया गया कि राज्यपाल ने सभी पहलुओं की जांच के बाद डीए देने के फैसले पर मुहर लगा दी है। राज्य सरकार ने पिछले साल दिसंबर में चार प्रतिशत डीए बढ़ाने की घोषणा की थी। 21 दिसंबर 2023 में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में क्रिसमस कार्यक्रम के दौरान सरकारी कर्मचारियों के डीए में चार फीसदी बढ़ोतरी की घोषणा की थी। इस घोषणा के बाद नवान्न ने नए साल के पहले हफ्ते में महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी को लेकर अधिसूचना जारी कर दी। सरकार ने दो बार डीए बढ़ाया है। अब कर्मचारियों को मिलने वाले डीए की दर बढक़र 14 फीसदी हो गई है। फिर भी केंद्र सरकार के कर्मचारियों और राज्य सरकार के कर्मचारियों को मिलने वाले डीए में 32 फीसदी का अंतर है। इस समय केंद्रीय वेतनभोगी कर्मचारियों को 46 फीसदी की दर से डीए मिलता है।
डीए को लेकर राज्य सरकार और कर्मचारियों में तकरार
राज्य सरकार के कर्मचारियों का एक बड़ा वर्ग केन्द्र सरकार के कर्मचारियों के बराबर डीए देने की मांग को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहा है। इसको लेकर तनाव का असर राज्य की राजनीति तक भी पहुंच गया है। विपक्ष ने भी राज्य पर दबाव बढ़ा दिया है। लेकिन राज्य का तर्क है कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए डीए अनिवार्य है, लेकिन राज्य सरकार डीए का भुगतान करने के लिए बाध्य नहीं है। चूंकि राज्य सरकार डीए और पेंशन, दोनों प्रदान करती है, इसलिए राज्य ने कहा कि इस संबंध में उस पर दबाव नहीं डाला जा सकता है।
पेंशन कमीशन का मुद्दा भी चर्चा में
देश की आबादी के केवल 4 प्रतिशत लोग ही सरकारी नौकरियों में हैं। वर्ष 2021 के आंकड़े कहते हैं कि केंद्र और राज्य मिलाकर सरकारी कर्मचारियों की संख्या पांच करोड़ है। बाकी 96 प्रतिशत गैर सरकारी कर्मचारी डीए पाने के अधिकार से लगभग वंचित हैं। पेंशन कमीशन का मुद्दा भी चर्चा में आया। 2004 में, पुरानी पेंशन योजना को समाप्त कर दिया गया और केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए एक नई पेंशन योजना शुरू की गई। यह प्रणाली कई राज्यों में भी शुरू की गई है। पुरानी पेंशन योजना के तहत 20 साल की सेवा के बाद मूल वेतन का 50 प्रतिशत मिलता था। नई पेंशन योजना में मूल वेतन का 14 प्रतिशत काटकर पेंशन फंड में जमा किया जाता है। इसमें सरकार 10 फीसदी और देती है। जो पैसा शेयर बाजार में निवेश किया जाता है उसका उपयोग पेंशन का भुगतान करने के लिए किया जाता है, जो मूल वेतन का 50 प्रतिशत या पांच प्रतिशत हो सकता है। अगर सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों की पेंशन को लेकर अनिश्चितता है तो भी सरकार जिम्मेदार नहीं है।
बंगाल में नई पेंशन योजना शुरू नहीं
बंगाल में अब भी नई पेंशन योजना की शुरुआत नहीं हो सकी है। इससे पहले राज्य की पूर्व वाम मोर्चा सरकार ने भी ऐसा नहीं किया। उसके बाद राज्य की सत्ता पर काबिज तृणमूल सरकार ने भी नई पेंशन योजना शुरू नहीं की हैं। बंगाल में पुरानी पेंशन योजना चल रही है और इसीलिए राज्य सरकार कड़ा रुख अपना रही है। राज्य ने कहा कि अगर पेंशन और डीए का भुगतान करना पड़ा तो लागत कम नहीं होगी। हालांकि, आंदोलनकारियों ने इस तर्क को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है।