‘कीचड़ में फंसे आदमी को निकालने कीचड़ में उतरना पड़ेगा’
महावीर सदन में लोका शाह जयंती पर धर्मसभा
‘कीचड़ में फंसे आदमी को निकालने कीचड़ में उतरना पड़ेगा’
कोलकाता. कीचड़ में फंसे हुए आदमी को उसके अंदर से बाहर निकालने के लिए अपने को कीचड़ में उतरना ही पड़ेगा तभी उससे बचा पाएंगे और हमारी संवेदना का धार्मिकता का जीवंत पालन करना माना जाएगा। राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश ने शुक्रवार को महावीर सदन में लोका शाह जयंती पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए यह बात कहीं। मुनि ने कहा कि यदि कीचड़ के डर से कोई दूरी बनाए रखता है, मात्र शब्दों में संवेदना का नाटक करता है तो यह धार्मिक नहीं हो सकता है। मुनि ने कहा कि वैसे ही बुराई अपराध हिंसा व्यसन रूपी कीचड़ के दलदल में फंसे लोगों को देख कर उनको उनसे मुक्त करने के लिए संत समाज को मान अपमान की परवाह न करते हुए उनके बीच में जाना ही पड़ेगा। ज्ञान और साधना के माध्यम से और उन अपवित्र आत्माओं को पवित्र बनाना ही सबसे बड़ा तप और मोक्ष है। जैन संत ने कहा कि अंगुलिमाल, वाल्मिक आदि जंगलों में थे तो भगवान बुद्ध, भगवान महावीर तथा कई संत भी उनके परिवर्तन के लिए जंगलों में गए और क्रांतिकारी इतिहास का निर्माण किया। राष्ट्रसंत ने बताया कि धुले हुए कपड़ों को यदि कोई वापस वाशिंग मशीन में डाले तो उसे हम क्या कहेंगे? वर्तमान में प्रवचन जनसभाएं धर्म स्थान की चार दीवारों तक सीमित हैं। उसमें में आने वाले लोग पहले से ही अधिकांश बुराइयों से मुक्त होते हैं और अब संतों को हिंसा-अपराध और बुराइयों से शिकार बने हुए क्षेत्रों में स्व प्रेरणा से पहुंचकर उनका उत्थान करना परमात्मा की भक्ति और पूजा से बढक़र है। उन्होंने कहा कि आज देश में 30 लाख के करीब संत हैं और 7 लाख गांव हैं। यदि एक-एक संत भी एक-एक गांव गोद लेकर मानवीय गुणों से युक्त करने का निस्वार्थ भाव से प्रयास चालू करें तो रामराज्य की कल्पना 5 वर्ष में सफल हो सकती है। दुर्भाग्य है कि अपवित्र लोगों को धर्म स्थान में आने ही नहीं दिया जाता। उनको रोकना परमात्मा का अपमान करने के समान है। बुराइयों में लिप्त लोग धर्मस्थल में आने से कतराते हैं, संकोच करते हैं इसीलिए संतो को होम डिलीवरी काम करना होगा, तभी उत्थान और परिवर्तन संभव है। आध्यात्मिक ज्ञान की अलख गली-गली और घर-घर में जगाना होगा। अखिल भारतीय जैन दिवाकर विचार मंच नई दिल्ली की ओर से समाजसेवी युवा कार्यकर्ताओं का शाल भेंट कर अभिनंदन किया गया। 24 नवंबर को सुबह 8 बजे महावीर सदन में सकल जैन समाज की ओर से मुनि कमलेश के चातुर्मास समाप्ति पर विदाई समारोह का आयोजन होगा। कौशल मुनि ने मंगलाचरण किया और घनश्याम मुनि ने विचार व्यक्त किए।
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