scriptJute industry: जूट आयुक्त के फैसले से उद्योग का संकट गहराया | The crisis of the Jute industry deepened | Patrika News
कोलकाता

Jute industry: जूट आयुक्त के फैसले से उद्योग का संकट गहराया

पश्चिम बंगाल में रोजगार की रीढ़ की हड्डी जूट मिलें दम तोड रही हैं। हजारों लोग बेरोजगार हो गए हैं। देश में सबसे अधिक कच्चे जूट का उत्पादन करने वाले पश्चिम बंगाल में सोने के रेशे (गोल्डन फाइबर) के नाम से मशहूर कच्चे माल (पाट) की खरीद-बिक्री पर रोक के आदेश से जूट उद्योग का संकट गहरा गया है।

कोलकाताJun 17, 2021 / 10:31 pm

Rabindra Rai

Jute industry: जूट आयुक्त के फैसले से उद्योग का संकट गहराया

Jute industry: जूट आयुक्त के फैसले से उद्योग का संकट गहराया

भुखमरी के कगार पर पहुंच सकते हैं हजारों श्रमिक
राज्यों में बारदाने की हो सकती है कमी
कोलकाता. पश्चिम बंगाल में रोजगार की रीढ़ की हड्डी जूट मिलें दम तोड रही हैं। हजारों लोग बेरोजगार हो गए हैं। देश में सबसे अधिक कच्चे जूट का उत्पादन करने वाले पश्चिम बंगाल में सोने के रेशे (गोल्डन फाइबर) के नाम से मशहूर कच्चे माल (पाट) की खरीद-बिक्री पर रोक के आदेश से जूट उद्योग का संकट गहरा गया है।
जूट आयुक्त ने 11 जून से 20 जुलाई तक ये रोक लगाते हुए कहा है कि इस दौरान न तो कोई व्यापारी पाट बेच सकता है और न ही जूट मालिक खरीद सकता है। व्यापारी 20 जुलाई तक नई फसल भी नहीं खरीद सकते हैं। कच्चे माल की कमी के चलते पहले ही राज्य की 58 जूट मिलों में से करीब 16 मिलों के बंद होने की नौबत आ गई है। पहले से ही पचास हजार से अधिक जूट श्रमिकों की रोजी-रोटी छिन गई है।
इस प्रतिबंध के बाद पंजाब समेत देश के कई राज्यों में बारदाने (जूट के बोरे) का संकट भी हो सकता है। खाद्यान्नों की पैकिंग के लिए पर्यावरण के अनुकूल जूट के बोरे खरीदने के लिए केंद्र सरकार के खजाने पर 2,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पडऩे का अनुमान अलग से है।

भुगतान में देरी
सरकार द्वारा जूट की बोरियों के भुगतान में देरी से भी स्थिति बिगड़ी है। स्थिर नकदी प्रवाह के बिना, मिल मालिक अपने मजदूरों को मजदूरी देने में परेशानी का सामना कर सकते हैं। पहले ही सख्त लॉकडाउन के बीच मिल मालिकों को जूट बोरे ले जाने वाले वाहनों की आवाजाही को लेकर समस्या का सामना करना पड़ रहा है।

खुशी की बात
इस बीच हावड़ा के बाली स्थित महादेव जूट मिल खुल जाएगी। मिल के गेट पर प्रबंधन ने इस बात की घोषणा की हालांकि प्रबंधन ने कहा कि कच्चे माल की दिक्कत है फिर भी हम उसकी व्यवस्था कर मिल को खोलने जा रहे हैं। बाली के विधायक डॉ राणा चटर्जी ने कहा कि मजदूरों के हितों को ध्यान रखते हुए यह निर्णय लिया गया।

इनका कहना है
पिछले साल राज्य में करीब 55 लाख टन कच्चे जूट का उत्पादन हुआ था। जबकि 18 लाख बेल बचा था। जुलाई के पहले सप्ताह से नई फसल बाजार में आएगी तो स्थिति में सुधार होगा।
-ओम सोनी, उपाध्यक्ष, जूट बेलर्स एसोसिएशन

हमने जूट आयुक्त से कच्चे जूट की जमाखोरी रोकने के लिए तत्काल छापेमारी शुरू करने को कहा है। इससे जमाखोरी पर रोक लगेगी और सभी मिलों के लिए कच्चे जूट की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।
बेचाराम मन्ना, श्रम मंत्री, बंगाल
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो