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कोलकाता

बंगाल में भाजपा के ताबूत में यह आखिरी कील होगा साबित

पश्चिम बंगाल की सत्ता को हर हाल में बचाए रखने के लिए तृणमूल कांग्रेस ने हर दांव आजमाना शुरू कर दिया है। जो दांव सफल हुआ है पार्टी ने उसका 2021 के विधानसभा चुनाव में भी इस्तेमाल करने का पूरा मन बना लिया है। इन्हीं में एक है राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) मुद्दा। इसे मुद्दे के सहारे तृणमूल कांग्रेस ने हालिया उपचुनाव में अपना डंका बजाया था।

कोलकाताDec 07, 2019 / 10:44 pm

Rabindra Rai

बंगाल में भाजपा के ताबूत में यह आखिरी कील होगा साबित

बंगाल में भाजपा के ताबूत में यह आखिरी कील होगा साबित

कोलकाता. पश्चिम बंगाल की सत्ता को हर हाल में बचाए रखने के लिए तृणमूल कांग्रेस ने हर दांव आजमाना शुरू कर दिया है। जो दांव सफल हुआ है पार्टी ने उसका 2021 के विधानसभा चुनाव में भी इस्तेमाल करने का पूरा मन बना लिया है। इन्हीं में एक है राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) मुद्दा। इसे मुद्दे के सहारे तृणमूल कांग्रेस ने हालिया उपचुनाव में अपना डंका बजाया था। राज्य की तीनों विधानसभा सीटों पर कब्जा करके तृणमूल ने भाजपा को कड़ी शिकस्त दी थी। अब पार्टी नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) के मुद्दे पर भाजपा को घेरने की रणनीति बना रही है। तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि पार्टी चुनाव के दौरान विवादित विधेयक के खिलाफ प्रचार पर ध्यान केन्द्रित करेगी, जिसे पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी ने दूसरा स्वतंत्रता संग्राम करार दिया है। इन नेताओं को लगता है कि आगामी चुनाव में 120 सीटें निर्णायक साबित होंगी, जहां अल्पसंख्यक और शरणार्थी आबादी अच्छी खासी तादाद में है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने कोलकाता में एक रैली में कहा था कि वह सीएबी विधेयक का समर्थन करेंगी अगर हर शरणार्थी को नागरिकता दी जाए, चाहे वह किसी भी धर्म को मानने वाला हो। ममता ने कहा था कि हम पहले स्वतंत्रता संग्राम में भाग नहीं ले सके, जिससे हमें आजादी मिली। लेकिन हम दूसरे स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेंगे। हम एनआरसी और कैब का विरोध करेंगे।

शीर्ष नेताओं की राय
तृणमूल नेताओं ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि पार्टी के शीर्ष नेताओं की राय है कि राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) के बाद यह विधेयक बंगाल में भाजपा के ताबूत में आखिरी कील साबित होगा। तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हम सभी ने देखा है कि लोकसभा चुनावों के केवल छह महीने बाद बंगाल में कैसे माहौल भाजपा के खिलाफ हो गया है।

असम में खिलाफ काम किया
असम में एनआरसी ने भाजपा के खिलाफ काम किया। अब यह नागरिकता संशोधन विधेयक भाजपा को और नुकसान पहुंचाएगा। वह इन दोनों मुद्दों पर जनता के मनोभाव को भांपने में नाकाम रहे। उन्होंने कहा कि हमने भी शरणार्थी कॉलोनियों को नियमित किया, लेकिन इसे धर्म के चश्मे से नहीं देखा। वे (भाजपा सरकार) नागरिकता देने के लिये मानदंड तय कर सकते हैं, लेकिन धर्म कभी भी मानदंड नहीं हो सकता। उन्होंने राज्य में होने वाले आगामी चुनावों में पार्टी को विधेयक के खिलाफ प्रचार से फायदा होने की उम्मीद जताई। पश्चिम बंगाल में अगले साल नगर निकाय के चुनाव होने हैं।

यह भी होगी बड़ी भूल
तृणमूल कांग्रेस के नेता ने कहा कि एनआरसी की तरह, कैब भी बड़ी भूल होगी। यह हमारे लिए बंगाल में भाजपा के खिलाफ राजनीतिक तुरूप का इक्का साबित होगी। नागरिकता संशोधन विधेयक में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से शरणार्थी के तौर पर आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता प्रदान करने की बात कही गई है जिन्हें धार्मिक उत्पीडऩ का सामना करना पड़ा हो। छह दशक पुराने नागरिकता अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन के बाद इन्हें अवैध प्रवासी न मानकर भारतीय नागरिकता दी जाएगी।

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