इसी मुद्दे पर जब गुरूवार को पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु से पूछा गया कि क्या पश्चिम बंगाल भी यूजीसी के इस फैसले का पालन करेगा तो जवाब में बसु ने यूजीसी के निर्देशों को मानने से साफ इन्कार कर दिया। उन्होंने कहा कि राज्य का उच्च शिक्षा विभाग शिक्षाविदों की विशेषज्ञ समिति द्वारा तय किए गए दिशा-निर्देशों का ही पालन करेगा और उसी के अनुसार चलेगा। बसु ने कहा, “राज्य विश्वविद्यालयों में एमफिल पाठ्यक्रमों के संबंध में राज्य की अपनी नीतियां हैं और उनके साथ छेड़छाड़ करने का कोई कारण नहीं है।”
गौरतलब हैं कि यूजीसी ने देश के विश्वविद्यालयों को एमफिल पाठ्यक्रमों की पेशकश के खिलाफ अपने हालिया पत्र में कहा है कि यह एक मान्यता प्राप्त डिग्री नहीं है और छात्रों को ऐसे कार्यक्रम में प्रवेश लेने के प्रति आगाह किया है। नवंबर 2022 में यूजीसी द्वारा एमफिल कार्यक्रम बंद कर दिया गया था। यूजीसी ने छात्रों को किसी भी एमफिल कोर्स में दाखिला न लेने की भी सलाह दी है।