बंगाल में आंदोलन की धरती पर ध्रुवीकरण से फसल काटने की तैयारी
पश्चिम बंगाल (West Bengal) में आने वाले विधानसभा चुनाव का मंच तैयार हो गया है। तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी जहां अपनी पुरानी रणनीति आक्रमण ही बचाव का रास्ता है, का अनुशरण कर रही हैं वहीं भाजपा उन्हें परेशान करने के लिए ऐसे मुद्दों को हवा दे रही है जिनपर वे असहज हैं।
कोलकाता. कहते थे पश्चिम बंगाल की सत्ता का रास्ता आंदोलनों से जाता है। फिर चाहे वह वाममोर्चे के समय का खाद्य आंदोलन हो या फिर तृणमूल कांग्रेस के सत्ता में आने से पहले का सिंगुर और नंदीग्राम आंदोलन। पर इस बार वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की सत्ता पाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही भाजपा बड़े आंदोलनों की जमीन पर अपना नेरेटिव स्थापित करने में लगी हुई है। पूर्व मिदनापुर के धाकड़ नेता शुभेन्दु अधिकारी नंदीग्राम में हुई सभा के दौरान ध्रुवीकरण करने के प्रयास में देखे गए। सभा में आंदोलन से जुड़े अधिकारी ने कहा कि ममता बनर्जी 62 हजार के सहारे नंदीग्राम में चुनाव जीतना चाहती हैं। वहीं भाजपा 2.12 लाख के सहारे चुनावी मैदान में उतरेगी। ये 2.12 लाख लोग जयश्रीराम बोलने वाले हैं। वहीं 62 हजार में से भी वो कुछ लोगों को अपने पाले में लाने का प्रयास करेंगे। उन्हें इलाके के गांव गांव की सियासी तस्वीर मालूम है। हालांकि उनके बयान में कहीं भी हिन्दू या मुसलमान का जिक्र नहीं आया लेकिन उनका यह कहना कि 2.12 लाख लोग जयश्री राम का नारा लगाने वाले हैं उससे उनके ध्रुवीकरण के प्रयास सामने आ ही गए।
लोकसभा चुनाव में भी भाजपा का धु्रवीकरण का प्रयास सफल हुआ था। इसलिए इस बार भी पार्टी उसी दिशा में आगे बढ़ रही है। वहीं दूसरी ओर सत्ता विरोधी लहर, कुशासन व तुष्टीकरण के आरोपों से घिरी तृणमूल कांग्रेस को भाजपा के धु्रवीकरण के प्रयासों के खिलाफ खड़े होने के लिए मुद्दों की कमी से जूझना पड़ रहा है।
भाजपा के ध्रुवीकरण के प्रयासों की निंदा करते हुए राज्य के शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम ने उसपर राजनीतिक फायदे के लिए हिन्दू और मुसलमान में मतभेद पैदा करने का धर्म का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है।
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