scriptखतरनाक हो सकती है साल के बीजों के मूल्य में वृद्धि | Increasing sal tree seed rate may dangerous for chhattisgarh forest | Patrika News
कोंडागांव

खतरनाक हो सकती है साल के बीजों के मूल्य में वृद्धि

सरकार (Chhattisgarh Goverment) द्वारा साल के बीज (Sal tree seed) का समर्थन मूल्य बढ़ने से आदिवासी बहुत खुश है। बीज जंगल के पारिस्थितिक तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है। ऐसे में बीजो के मूल्य वृद्धि के दूरगामी परिणाम बहुत ही भयावह हो सकते हैं

कोंडागांवJun 17, 2019 / 04:10 pm

Karunakant Chaubey

sal tree seed

खतरनाक हो सकती है साल के बीजों के मूल्य में वृद्धि

कोंडागांव. वनांचल के ज्यादातर गरीब आदिवासियों (Tribal) की कमाई का एकमात्र जरिया वनोपज है। जिसे वो इकठ्ठा कर के बेचते हैं। गर्मी में ग्रामीण महुआ,तेंदूपत्ता और साल के बीच इकठ्ठा (Sal tree seeds) करते हैं। पिछले 20 दिनों में जंगल में ग्रामीण तेंदू पत्ते की तुड़ाई कर रहे हैं। अब पत्ते कम होने के कारण ग्रामीण साल के बीज इकठ्ठा करने में जुट गए हैं।

साल के बीज (Sal tree seeds) का रेट 5 से बढाकर 2014 में 10 रुपये किया गया था। लेकिन अब इसे बढाकर 20 रुपये कर दिया गया है। जिसके कारण अधिक से अधिक मुनाफा कमाने के लिए ग्रामीण सुबह से शाम तक बीजो को इकट्ठा करते रहते हैं। इससे पहले बिचौलियों द्वारा साल के बीज आने पौने दाम में ग्रामीणों (Tribal) से खरीद लिया जाता था जिसकी वजह से ग्रामीणों को उचित लाभ नहीं मिल पाता था। सरकार के समर्थन घोषित करने के बाद किसानो को इसका पूरा फायदा मिलेगा। किसानो को बढे हुए मूल्य की जानकारी देने के लिए सरकार (Chhattisgarh Goverment) मुनादी भी करवा रही है।

मूल्य वृद्धि क्यों है खतरनाक

साल या शाखू (Sal tree) छत्तीसगढ़ का राजकीय पौधा है। इसकी खूबी इसके नाम में ही निहित है। साल का पेड़ सौ साल में तैयार होता है और इसकी उम्र भी सौ साल की होती है। साल के पेड़ जगल ले पारिस्थितिक तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनके पेड़ वन्यजीव को आश्रय देते हैं। इनके जड़ों और टहनियों के कारण पानी का भी संचय होता है।
पढ़ें:और जब आदिवासियों के नृत्य पर थिरकने लगीं केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह…

लेकिन इनके बीजों के मूल्य में वृद्धि के कारण ग्रामीण साल के बीज (Sal tree seeds) को बेतहाशा इकठ्ठा कर रहे हैं करने लगे हैं। ऐसे में जगल में बीजों की कमी के कारण नए पौधे नहीं उगेंगे। बीज के अलावा साल की लकड़ी के लिए भी उसकी उसकी बेतहाशा कटाई की जा रही है । ऐसे में जगल में बीजों की कमी के कारण नए पौधे नहीं उगेंगे और साल के जंगल पर संकट खड़ा हो जाएगा।
छतीसगढ़ राज्य (Chhattisgarh state) बनाने के पहले बिलासपुर में साल अनुसन्धान केंद्र की स्थापना हो सकी थी, इस केंद्र ने पाया की साल के बीज पहली बारिश की फुहार के साथ हवा में उड़ाते हुए नीचे गिरते है और उनका अंकुरण अवधि कुछ दिनों के लिए ही होता है इसलिए इनकी नर्सरी तैयार नहीं हो पाती है।
यानी की ये प्राकृतिक जंगल (Chhattisgarh Forest) है और हम इनके पैदावार को बहुत बड़े स्तर पर नहीं बढ़ा सकते हैं। जल स्तर के नीचे जाने के कारण साल के पेड़ सूखन का शिकार हो रहे हैं।ऐसे में हो सकता है कि बीजों (Sal tree seeds) के अधिक संग्रहण से कुछ आदिवासियों की ज्यादा पैसा मिल जाय लेकिन इसके चक्कर में हम अपनी प्राकृतिक विरासत को खत्म कर देंगे।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो