विभाग का कहना है कि प्रति हेक्टेयर में 200 से अधिक छोटे-बड़े पेड़ के होने पर संंबंधित इलाका वन की श्रेणी में आएगा। लेकिन पेड़ों को काटने का निर्णय भारत सरकार लेगी। प्रति हेक्टेयर २०० से कम छोटे-बड़े पेड़ होने पर कटाई का निर्णय स्थानीय स्तर पर होगा। एसईसीएल की मानिकपुर कोयला खदान के विस्तार की प्रक्रिया कई वर्षों से चल रही है। खदान को आगे बढ़ाने के लिए प्रबंधन ने पेड़ों की गिनती कराई थी। उन्हें काटने के लिए कलेक्टर की कोर्ट में केस दर्ज कराया था। लगभग डेढ़ साल तक केस चलने के बाद कलेक्टर ने खदान विस्तार के लिए लगभग 22 हजार 100 पेड़ों को काटने की अनुमति दी है। आदेश की कॉपी वन विभाग और एसईसीएल प्रबंधन को मिल गई है। इसके बाद वन विभाग ने कटाई से पहले पेड़ों की गिनती चालू की है।
आसपास के क्षेत्रों में कोयले के लिए सर्वे
मानिकपुर खदान के आसपास कोयले के और भंडार की पतासाजी करने के लिए सीएमपीडीआई ने एक मशीन को उतारा है। रिंग रोड, नकटीखार और गोढ़ी के आसपास कोयले के भंडार का पता लगाने के लिए मशीन से बोर किया जा रहा है। संबंधित क्षेत्रों में कोयले के भंडार होने के प्रमाण भी मिले हैं। इसका अध्ययनन सीएमपीडीआई कर रही है।
4.9 मिलियन टन उत्पादन
मानिकपुर खदान की वार्षिक उत्पादन क्षमता 4.9 मिलियन टन है। इसके बढ़ाने के लिए कंपनी ने खदान विस्तार की योजना बनाई है। पेड़ों की कटाई के बाद ही प्रक्रिया आगे बढऩे की उम्मीद है।