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कोरबा

हाथी उत्पात से ग्रामीणों में दहशत, पिछले 20 दिनों में इतने परिवार हुए बेघर

Elephant Attack : हाथी उत्पात कम होने का नाम नहीं ले रहा है। लगातार हाथियों द्वारा ग्रामीणों के आशियाने को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। इससे ग्रामीण दहशत में हैं।

कोरबाJan 27, 2020 / 01:07 pm

Vasudev Yadav

हाथी उत्पात से ग्रामीणों में दहशत, पिछले 20 दिनों में इतने परिवार हुए बेघर

हाथी उत्पात से ग्रामीणों में दहशत, पिछले 20 दिनों में इतने परिवार हुए बेघर

पोड़ी उपरोड़ा. एतमानगर वन परिक्षेत्र में हाथियों का उत्पात जारी है। अभी भी हाथी यहां डेरा डाले हुए हैं। शुक्रवार की रात हाथियों ने चार मकानों को तोड़ दिया था। पिछले 20 दिनों में 17 मकानों को हाथी नुकसान पहुंचा चुके हैं। हाथियों का झुंड पांच गांव के बीच लगातार उत्पात मचा रहे हैं। ग्रामीणों में दहशत व्याप्त है, वन अमला भी निगरानी में लगा हुआ है। हाथियों के उत्पात से ग्रामीण रतजगा करने मजबूर हैं।
एतमानगर वन परिक्षेत्र में हाथियों ने शुक्रवार की रात ग्राम कोदवारी के चार ग्रामीणों के मकानों को क्षतिग्रस्त कर दिया। अभी भी झुंड कंपार्टमेंट पी 467 में डेरा जमा रखा है, शाम होते ही जंगल से चिंघाड़ मारते हुए गांव तक पहुंच जाते हैं। जंगल से लगे मकानों को हाथी तोड़ रहे हैं। पिछले 20 दिन के अंतराल में कुरूभाठा, पचरा, सलिहाभाठा, मातिन, भोडूपानी, कोदवारी में अब तक 17 मकानों को नुकसान पहुंचाया है।
ग्राम मातीन निवासी देवप्रसाद ने बताया कि हाथियों के दल आने के बाद से ग्रामीणों का दिनचर्या भी पूरी तरह से बदल गई है। भय का वातावरण बना रहता है,ग्रामीणों को समझ में नहीं आ रहा है कि गांव में रहे या फिर कहीं बाहर जाए। किसान बाड़ी की ओर नहीं जा पा रहे हैं, वहीं बाहर किसी काम से जाने वाले ग्रामीणों को आते समय हाथियों का डर सताते रहता है।
ग्रामीण रिझम एक्का ने बताया कि गजराजों के भय के कारण शाम होने से पहले ही लोग सुरक्षित स्थानों में पहुंच रहे हैं। हाथियों का झुंड तीन-चार समूहों में बंटा हुआ था, जो एकाएक झुंड में मिल चुका है इस वजह से इनकी संख्या अब 45 से 60 बताई जा रही है।

विभाग के पास संसाधन सीमित, हर जगह निगरानी नहीं
विभागीय संसाधन के अभाव में इन प्रभावित ग्रामों से हाथियों के दल को भगाने में सफलता नहीं मिल रही है, सीमित संसाधन के कारण हाथी मित्र गजराज वाहन प्रवाहित ग्राम में पहुंच रहे हैं। सभी जगह पहुंचना संभव नहीं हो पाता है। जब तक हाथी उत्पात मचाकर वापस लौट जाते हैं तब तक वन अमला नहीं पहुंच पाता है।

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