सुपरवाईजर की नजर पहिए पर पड़ी। इसकी सूचना रेलवे प्रबंधन को दी गयी। इसके उपरांत इंजन को रेलवे स्टेशन में खड़ी कर दी गयी थी। खराब इंजन रेलवे स्टेशन में लगभग दो महीने से खड़ी थी। इंजन में आई खराबी को सुधार कराने के लिए बिलासपुर से विशेष के्रन मंगाया गया। विशेष के्रन का नाम वन फॉर सी है। इसके अवाला 60 कर्मचारी व रेलवे के स्थानीय अधिकारियों की मदद से इंजन में आई गड़बड़ी को दूर किया गया। इसे लेकर सुबह से काम शाम तक चलता रहा।
ठेका कंपनी के इंजीनियर को अगवा कर मारपीट, दो लोगों को काम नहीं रखने से नाराज थे श्रमिक करीब दो माह से इंजन एक ही स्थान में खड़ी थी। इससे एक लाइन से गाडिय़ों का परिचालन नहीं हो पा रहा था। रेल प्रशासन के स्थानीय अधिकारियों ने पूरे मामले से जोन कार्यालय को अवगत कराया था। उनसे आयी गड़बड़ी को सुधारने के लिए वन फॉर सी क्रेन की मांग की थी। दो माह बाद क्रेन कोरबा पहुंची। इसकी मदद से इंजन की गड़बड़ी को ठीक किया गया। सुपरवाईजर की सतर्कता से इंजन में आई खराबी की सूचना से बढ़ा हादसा टल गया था। सुधार के बाद इंजन को आगे के लिए रवाना किया गया। इसके बाद मजदूर कार्य से लौट गए। कोरबा-गेवरा रेलखंड पर मालगाड़ी के परिचालन का दबाव अधिक रहता है। कई बार गाडिय़ां डी रेल हो जाती है।
-लोको एक्सल के व्हील डिस्टेंट बड़ गयी थी, इसे उच्चाधिकारियों को सूचना दी गयी थी। इसके उपरांत इंजन के मरम्मतीकरण के लिए बिलासपुर से वन फॉर सी टे्रन और 60 कर्मचारियों ने 12 घंटे में काम पूरा किया। अरिजीत सिंह, क्षेत्रीय रेलवे प्रबंधक कोरबा