scriptकोरबा में मिला दुर्लभ प्रजाति का ग्रीन कीलबैक सांप, अंतरराष्ट्रीय बाजार में है काफी कीमत | Green keelback snake of rare species found in Korba | Patrika News
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कोरबा में मिला दुर्लभ प्रजाति का ग्रीन कीलबैक सांप, अंतरराष्ट्रीय बाजार में है काफी कीमत

Keelback snake found in korba: कोरबा शहर से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित है झोरा नाम की एक जगह। इस जगह से से लगा हुआ है सिरकी नाम का एक गाँव। इस गाँव से एक आश्चर्य जनक मामला सामने आया है। गांव में रहने वाले एक ग्रामीण के घर के पास एक हरा सांप पाया गया है।

कोरबाNov 27, 2022 / 05:59 pm

CG Desk

 कोरबा बना कोबरा का गढ़

कोरबा बना कोबरा का गढ़

Keelback snake found in korba: कोरबा शहर से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित है झोरा नाम की एक जगह। इस जगह से से लगा हुआ है सिरकी नाम का एक गाँव। इस गाँव से एक आश्चर्य जनक मामला सामने आया है। गांव में रहने वाले एक ग्रामीण के घर के पास एक सुंदर एवं अद्भुत प्रजाति का एक हरा सांप पाया गया है। कैलाश नाम के ग्रामीण के घर के पास इस सांप की प्रजाति पाई गई है। उनका घर नदी और पहाड़ों के बीच में बसा हुआ है। जैसे ही कैलाश ने यह सांप देखा उसने बिना कोई देरी करते हुए इसकी जानकारी आरसीआरएस संस्था के सदस्य शेष बन गोस्वामी को दी।

ग्रीन कीलबैक सांप
इसके बाद गोस्वामी ने इसकी जानकारी अपने संस्था के एनटीपीसी रेस्क्यू टीम के सदस्य रघुराज सिंह को दी। रघुराज सिंह ने भी बिल्कुल देरी नहीं की और तुरंत अपने टीम के सदस्य विक्की सोनी, शंकर राव, सागर साहू, महेश्वर,लोकेश, मोनू, आयुष, कृष्णा, ऋतुराज, प्रिया मंडल, अंजलिरेडी के साथ ग्राम सिरकी पहुंचे। जब वे मौके पर पहुंचे तो सदस्यों ने देखा कि वह एक ग्रीन कीलबैक सांप है।

 

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पंचनामा तैयार कर सुरक्षित छोड़ा
इसके उपरान्त सदस्यों ने बड़े ही सुरक्षा और सावधानी के साथ सांप को रेस्क्यू किया। रेस्क्यू के बाद वनविभाग कटघोरा मंडल रेंजर ऑफिसर सुखदेव सिंह मरकाम और चौकीदार विदेशी यादव, छुरी आरसीआरएस टीम और एनटीपीसी आरसीआरएस टीम के उपस्थिति मे पंचनामा तैयार कर सांप को सुरक्षित पर्यावरण में छोड़ दिया गया।
पलक झपकते ही छिप जाता है
सर्प विशेषज्ञों के मुताबिक यह सांप हरी घास, झाड़ियों में रहता है और बेहद ही फुर्तीला होता है। पलक झपकते ही गायब हो जाता है। मेंढक, चूहे को खाने वाला यह सांप शाम होते ही सक्रिय हो जाता है। इसकी आंख बड़ी होती है। बेंगलुरू में हुए एक अध्ययन के मुताबिक यह सांप 8-15 अंडे तक देता है और सितंबर से अक्टूबर माह इसके अंडे देने का समय होता है।
बताया जा रहा है कि यह सांप जहरीला नहीं होता है, लेकिन बेशकीमती है, अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी काफी कीमत है और यह दुर्लभ प्रजाति का सांप है। यह सांप एशिया में पाया जाता है, लेकिन अब छत्तीसगढ़ के जंगल क्षेत्रों में भी नजर आने लगा है। पंचनामा के बाद वन कर्मियों ने सांप को सुरक्षित जंगल में छोड़ दिया है।

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