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कोरबा

बांस-बल्लियों के सहारे रोशन हो रहा घर, क्या कहते हैं विभाग के लाइनमैन व पार्षद, पढि़ए पूरी खबर…

जिले को ऊर्जाधानी का तमगा तो मिला लेकिन कई क्षेत्रों में आज भी बिजली (Elsectricity) की आपूर्ति बांस-बल्लियों के सहारे हो रही है।

कोरबाJun 22, 2019 / 11:53 am

Vasudev Yadav

बांस-बल्लियों के सहारे रोशन हो रहा घर, क्या कहते हैं विभाग के लाइनमैन व पार्षद, पढि़ए पूरी खबर...

बांस-बल्लियों के सहारे रोशन हो रहा घर, क्या कहते हैं विभाग के लाइनमैन व पार्षद, पढि़ए पूरी खबर…

कोरबा. शहरी क्षेत्र के रिहायशी इलाकों में शुमार दर्री जोन के लाटा में चार किलोमीटर के दायरे में लोगों ने बांस के सहारे बिजली (Elsectricity) की तार खींच रखी है। तब जाकर इनके घर रोशन होते हैं। इतना ही नहीं लाटा में पिछले आधे दशक से व्यवस्था ऐसी ही चली आ रही है। विभाग को इसकी भलीभांति जानकारी है। चार साल पहले प्रस्ताव भी बना था, लेकिन बदलाव कुछ भी नहीं हुआ।
लाटा में विद्युत कनेक्शन (Electrical connection) कितने बेतरतीब ढंग से दिए गए हैं, यह जानने के लिए इतना बताना ही काफी होगा कि यहां चार किलोमीटर के दायरे में लगभग 400 लोगों नेे बांस के सहारे ट्रांसफार्मर से कनेक्शन खींच रखा है। आमतौर पर इस तरह से बांस के जरिए अस्थायी कनेक्शन किसानों द्वारा लिया जाता है। जहां उन्हें मोटर से सिंचाई की आवश्यकता होती है। लेकिन लाटा का यह इलाका जहां के लिए विभाग ने कनेक्शन दिए हैं, वह इस क्षेत्र का रिहायशी इलाका है। जहां लागों ने दो व तीन मंजिला मकानों का निर्माण कर लिया है।
पुष्पल्लव कॉलोनी भी यहीं स्थापित है। विभाग के लाइनमैन कहते हैं कि उस क्षेत्र में खंभे तो हैं नहीं इसलिए व्यवस्था बनाकर रखने के लिए मजबूरी में सभी को इस तरह से अस्थायी कनेक्शन दिया गया है। जबकि पार्षद की मानें तो यह सभी स्थायी कनेक्शन हैं। जहां के लिए वह पिछले कई साल से खंभों की मांग कर रहे हैं।
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10 लाख का प्रस्ताव चार साल से ठंडे बस्ते में
लाटा में बेतरतीब ढंग 400 लोगों से इसी तरह से ट्रांसफार्मर (Transformer) से कनेक्शन खींच रखा है। आमतौर इस तरह से बांस के जरिए अस्थायी कनेक्शन किसानों द्वारा लिया जाता है। बहरहाल इस समस्या के समाधान के लिए अंतत: विभाग ने पहल करते हुए एक प्रस्ताव बनाकर उच्चाधिकारियों को भेजा गया है।

प्रस्ताव में इसी इलाके में दो ट्रांसफार्मर सहित 30 खंभे लगाने का प्रावधान है। दस लाख रुपए की लागत वाले इस प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने पर ही काम शुरू किया जा सकेगा। फिलहाल इस प्रस्ताव की स्थिति है, जानकारी नहीं मिल सकी है।
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तारों को पहचानना भी टेढ़ी खीर
लाटा व अगारखार के आस-पास के क्षेत्र में जिस तरह से बांस के जरिए कनेक्शन (Connection) खींचे गए हैं। वह किसी मकड़ी के जाले से कम नहीं है। ऐसे में कौन सा तार किस उपभोक्ता का है। यह पहचानना भी संभव नहीं है। यहां के लोगों की ही क्षमता कहा जा सकता है, जिससे कि खराबी आने पर अपना तार पहचान लेते हैं।

मानसून में खतरा दोगुना
बांस के सहारे खींचे गए तारों से मानसून के मौसम में खतरा दोगुना बढ़ जाता है। बांस भी बारिश से गीली रहती है। ऐसे में यदि कोई तार कटा तो बांस के जरिए करंट फैल सकता है। जिससे खतरा हो सकता है। जानकारी में रहते हुए यदि विभाग पिछले चार-पांच साल से हाथ पर हाथ धरे बैठा हुआ है। किसी अप्रिय घटना की स्थिति में जवाबदेही पूरी तरह से विद्युत वितरण की ही होगी।

दर्री जोन के एई गए छुट्टी पर
वर्तमान में दर्री जोन में विद्युत की समस्या चरम पर है। ऐसे समय मे यहां के नियमित एई महेश्वरी पिछले कई दिनों से छुट्टी पर हैं। हालांकि छुट्टी लेने का करण किसी तरह की इमरजेंसी होना बताया गया है।

-एई के छुट्टी पर होने से मुझे दर्री जोन का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। नियमित एई जब आ जाएं, तो वही इस विषय में पर ठीक तरह से बता पाएंगे। उन्हें मैं भी अवगत करा दूंगा -रोशनलाल वर्मा, प्रभारी एई, दर्री जोन

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