गौरतलब है कि लेमरू वन परिक्षेत्र को लंबे समय से हाथी अभयारण्य से लेकर एलीफेंट रिजर्व बनाने को लेकर कई बार तैयारी हो चुकी है। २००५ में केन्द्र सरकार ने इसके लिए प्रस्ताव पारित किया। इसके बाद २००७ में केन्द्र सरकार ने लेमरू को एलीफेंट रिजर्व की घोषणा की थी।
हालांकि इसी बीच नकिया में कोल माइंस को लेकर फिर इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। तब से लेकर अब तक इसकी प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी थी। बीच में यह भी बात कही गई थी कि हाथी अभयारण्य बनाया जाएगा। लेकिन वह भी सिर्फ घोषणा तक सीमित रही। कांग्रेस ने लेमरू को एलीफेंट रिजर्व बनाने के लिए अपने घोषणा पत्र में शामिल किया था। सरकार बनने के बाद अब इसके लिए तैयारी शुरू कर दी गई है। कोरबा वनमंडल के जानकारी मांगी गई है कि हाथी कब-कब लेमरू पहुंचे। कितने दिन रूके।
Breaking : हाइवे पर मुनगाडीह के पास ट्रक ने बाइक को रौंदा, एक की मौत, दो सगे भाइयों की हालत गंभीर पांच साल में हाथियों ने कितना उत्पात मचाया। जनहानि से लेकर फसल क्षतिपूर्ति की भी जानकारी मांगी गई है। वन विभाग अब इसकी तैयारी में जुट गया है। फरवरी तक इसकी जानकारी भेजी जाएगी।
लेमरू व उदयपुर रेंज में हाथियों का मूवमेंट
लेमरू और उदयपुर रेंज आपस में लगा हुआ है। दोनों ही रेंज में हाथियों का लगातार मूवमेंट रहता है। एक रेंज से हाथी दूसरे रेंज में अकसर आते जाते रहते हैं। वर्तमान में भी एक हाथी उदयपुर से नकिया के आसपास पहुंचा हुआ है। दोनों ही वन मंडल के लिए यह एलीफेंट रिजर्व जरूरी होगा। हालांकि अभ्यारण्य की भी मांग रही है, लेकिन इसे लेकर प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है। दरअसल अभ्यारण्य को लेकर कई दिक्कतें भी है। उस पूरे क्षेत्र के कई गांव भी इससे प्रभावित होंगे। शासन इस मामले में राय ले रही है।
-एलीफेंट रिजर्व के लिए जानकारी मांगी गई है। इसके लिए आंकड़े जुटाने का काम चल रहा है। अगले महीने रिपोर्ट सरकार को भेज दी जाएगी- एस वैंकटाचलम, डीएफओ कोरबा