मामले का खुलासा होने के बाद गेवरा में भारत गैस का संचालन करने वाली समिति में हड़कंप मचा हुआ है। बताया जाता है कि भारत पेट्रोलिय कंपनी ने सभी उपभोक्ताओं के कनेक्शन की सुरक्षा जांच कराने के लिए सोसाइटी को कहा था। इसके लिए सोसाइटी की बैठक में एक प्रस्ताव रखा गया था। बैठक में प्रस्ताव को पारित किया गया।
गेवरा प्रोजेक्ट कंज्यूमर को-ऑपरेटिव सोसाइटी ने अपने कर्मचारियों को उपभोक्ताओं के घर भेजा। चूल्हा रिपेयरिंग करने पर 177 रुपए और बर्नर बदलने पर 265 रुपए लिया। श्रमिक संगठन गेवरा कोयला मजदूर सभा का आरोप है कि मेंडेट्री कराने वाले प्रत्येक उपभोक्ताओं से 177 रुपए शुल्क लिया गया। इसे सोसाइटी के खाते में जमा नहीं किया गया। संगठन का आरोप है कि मेंडेट्री शुल्क के तौर पर सोसाइटी ने लगभग नौ लाख 73 हजार 518 रुपए की गड़बड़ी की। उपभोक्ता को सीएसटी नंबर के बिना कच्चा बिल दिया। संगठन ने सोसाइटी पर जीएसटी की राशि में गड़बड़ी का आरोप भी लगाया है। सोसाइटी में मेंडेट्री शुल्क की हुई गड़बड़ी की शिकायत कलेक्टर, पंजीयक सहकारिता से की गई है। साथ ही सेंट्रल सीएसटी को भी अवगत कराया गया है।
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-आरटीआई के जरिए दस्तावेज मिले हैं। इसमें पता चला है कि गेवरा प्रोजेक्ट कंज्यूमर को-ऑपरेटिव सोसाइटी के अध्यक्ष ने मेंडेट्री में भ्रष्टचार किया है। लगभग नौ लाख 73 हजार रुपए की गड़बड़ी हुई है। उपभोक्ता को पक्का के बजाय कच्चा बिल दिया गया है। सरकार को जीएसटी में भुगतान में भी गड़बड़ी हुई है। सुरेन्द्र सिंह सैनी, संगठन मंत्री, एटक
-बीपीसीएल के आदेश पर उपभोक्ताओंं की मेंडेट्री जांच कराई गई। इसके लिए एक मैकेनिक विनोद सिंह को अधिकृत किया गया था। अभी तक लगभग 1200 उपभोक्ताओं की मेंडेट्री हुई है। सोसाइटी के पास बिल बुक पहले से छपा हुआ था। इसे देकर मेंडेट्री कराई गई। जीएसटी का आंकलन किया जा रहा है। अन्य हिसाब-किताब को भी ठीक कर लिया जाएगा। आरके सिंह, अध्यक्ष गेवरा प्रोजेक्ट कंज्यूमर को- ऑपरेटिव