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कोरबा

अब उर्जाधानी में विंड एनर्जी की संभावना तलाशेगा एनटीपीसी

एनटीपीसी जमनीपाली के कार्यकारी निदेशक नीरज कुमार सिन्हा ने कहा कि कोरबा में विंड एनर्जी (पवन ऊर्जा) की संभावना तलाशने के लिए कार्य किए जाएगे।

कोरबाFeb 10, 2018 / 08:04 pm

Rajkumar Shah

एनटीपीसी जमनीपाली के कार्यकारी निदेशक नीरज कुमार सिन्हा

एनटीपीसी जमनीपाली के कार्यकारी निदेशक नीरज कुमार सिन्हा ने कहा कि कोरबा में विंड एनर्जी (पवन ऊर्जा) की संभावना तलाशने के लिए कार्य किए जाएगे।

कोरबा . एनटीपीसी जमनीपाली के कार्यकारी निदेशक नीरज कुमार सिन्हा ने कहा कि कोरबा में विंड एनर्जी (पवन ऊर्जा) की संभावना तलाशने के लिए कार्य किए जाएगे। इसके लिए 100-100 मीटर पर हाई मास्ट लगाए जाएंगे। हवा की पोटेंशियल देखी जाएगी।
शनिवार को कार्यकारी निदेशक नीरज कुमार सिन्हा जमनीपाली स्थित विकास भवन में मीडिया से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की संस्था क्रेडा ने बिलासपुर में विंड एनर्जी की संभावना तलाश की है।
इसकी जानकारी अन्य जिलों को दी गई है। एनटीपीसी भी कोरबा में विंड एनर्जी की संभावना तलाशने की कोशिश करेगा। पूर्व से चली आ रही सोलर प्लांट प्रोजेक्ट से संबंधित एक सवाल के जवाब मेें सिन्हा ने कहा कि इसके लिए तीन स्थान संभावित हैं। कंपनी की तकनीकी टीम उपरोक्त जगह की तलाश कर रही है।
अध्ययन किया जा रहा है। एनटीपीसी ने प्रगतिनगर, एमजेआर और पुराने ऐश डाइक वाले स्थान को सोलर प्रोजेक्ट स्थापित करने के लिए चयन किया है। तीनों मेें से प्रोजेक्ट किस स्थान पर लगेगा यह स्पष्ट नहीं है।
मीडिया से चर्चा के दौरान महाप्रबंधक तकनीकी सेवाएं सी दक्षिण मूर्ति, महाप्रबंधक ईंधन प्रबंधन वासूराज गोस्वामी, अपर महाप्रबंधक मानव संसाधन एसएस दास, जनसपर्क अधिकारी आशुतोष नायक भी उपस्थित थे।


जीरो लिक्विड डिस्चार्ज पर जोर– प्रदूषण से संबंधित एक सवाल के जबाव में कार्यकारी निदेशक सिन्हा ने कहा कि इसे रोकने के लिए प्रबंधन गंभीर है।
400 करोड़ की लागत से छह पुरानी यूनिट में ईएसपी लगाने का कार्य पूरा हो चुका है। जीरो लिक्विड डिस्चार्ज पर काम चल रहा है। प्रबंधन संयंत्र के लिए जितना पानी लेगा, उसे बाहर नहीं छोड़ेगा। निगम की डे्रनेज से निकलने वाली पानी को भी ट्रीट होने के बाद लेने की कोशिश चल रही है।
निगम ने संयंत्र में पानी की जरूरत से संबंधित जानकारी मांगी है। लेकिन संयंत्र में खपत होने वाली पानी की तुलना में निगम से कम पानी मिलेगी। इसे भी प्रबंधन लेगा। इससे संबंधित योजना निगम ने प्रदेश सरकार को भेजा है।

सुराकछार में डाली जा रही 400 से 500 टन राख– उन्होंने कहा कि राखड़ उपयोगिता को लेकर भी प्रबंधन गंभीर है। राख का शत फीसदी उपयोग करने पर जोर है। एसईसीएल की सुराकछार खदान में राख भराव पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चालू किया गया है। प्रतिदिन 400 से 500 टन राख का भराव किया जा रहा है। सालाना दो लाख टन राखड़ भरने की अनुमति है। इस साल 25 हजार टन राख डाला जा चुका है।
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