शहरी क्षेत्र में नजूल और शासकीय निकायों की स्जमीन पर काबिज लोगों को पट्टा देने के लिए सभी वार्डों में सर्वे चल रहा है। मंगलवार तक नगर निगम ने पांच हजार ४७४ मकानों में सर्वे किया था। अनुमान है कि सर्वे के बाद निगम क्षेत्र में लगभग 10 से 12 हजार लोगों को राजीव गांधी आश्रय योजना के तहत पट्टा दिया जाएगा। हालांकि इसपर अंतिम निर्णय दावा आपत्ति के बाद सरकार लेगी। इसके लिए राजस्व विभाग ने सभी कलेक्टरों को नियम और शर्ते भेजा है। लिखा है कि 19 नवंबर 2018 तक झुग्गी में रहने वाले सभी लोगों को पट्टा दिया जाएगा। इसके लिए राशन कार्ड को दस्तावेज माना जाएगा। इसके साथ ही अलग कोई व्यक्ति या परिवार किराए की झुग्गी में निवास करता है तो पट्टा दिया जाएगा। यह पट्टा किसी भी स्थिति में झुग्गी के मालिक को नहीं दिया जाएगा। बल्कि में किराए में आवास करने वाले व्यक्ति या परिवार को दिया जाएगा। नगर पंचायत में एक हजार वर्गफूट और नगर पालिक में 800 वर्ग फूट पर काबिज लोगों को पट्टा दिया जाएगा। इससे अधिक जमीन पर कब्जा होने पर जमीन को मुक्त कराया जाएगा।
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इन्हें नहीं मिला पट्टा
अगर कोई व्यक्ति सडक़, नगर या तालाब की जमीन पर काबिज है तो पट्टा सरकार नहीं देगी। साथ ही सार्वजनिक उपक्रमों की जमीन पर काबिज लोगों को पट्टा उपक्रमों से अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने के बाद दिया जाएगा। इसका असपर कोरबा नगर निगम क्षेत्र में अधिक पडऩे की संभावना है। कोरबा निगम क्षेत्र में एसईसीएल की जमीन पर मुड़ापार, मानिकपुर, पंप हाउस और कुसमुंडा क्षेत्र में कई बस्तियां बसी हैं। इसके अलावा सीएसईबी की जमीन पर भी लोगों ने कब्जाकर मकान बनाया है। बालकोनगर और दर्री क्षेत्र में कई बस्तिायां सार्वजनिक उपक्रमों की जमीन पर बसी हैं। अपनी जमीन पर कबिज लोगों को पट्टा देने के लिए सार्वजनिक उपक्रम अनापत्ति प्रमाण दें। इसकी संभावना कम है।
वर्जन
निगम के सभी जोन में सर्वे चल रहा है। सर्वे ३० अक्टूबर तक पूरी होने की संभावना है। झुग्गी झोपड़ी में किराए पर रहने वाले व्यक्ति भी राजीव आश्रय योजना के तहत पट्टा के पात्र होंगे। दावेदारी कर सकते हैं। हालांकि इसका अंतिम निर्णय दावा आपत्ति के बाद लिया जाएगा।सुनील नायक एसडीएम, कोरबा