संग्रहालय में रखे गए चित्र, जमींदारी के समय की ऐतिहासिक वस्तुएं, अंग्रेजों से लोहे लेने वाले हथियार आदि बहुत सारी चीजें हैं।
संरक्षण के लिए बनाया संग्रहालय
ऊर्जाधानी की ऐतिहासिक व पुरातात्विक विरासत को संजोने और यहां के स्थानीय लोगों को अपनी पुरासंपदा से परिचित कराने के मकसद से संस्कृति छत्तीसगढ़ संस्कृति विभाग ने जिला पुरातत्व कोरबा के माध्यम से यह संग्रहालय निर्मित कराया। इसमें मुख्य रूप से जिले के पाली,लाफा,तुमान,कनकी, रजकम्मा तथा वीरतराई आदि क्षेत्रों से प्राप्त मूर्तियों एवं पुरावशेषों तथा जमींदारी कालीन स्मृति चिंहों एवं वस्त्राभूषणों को भी संग्रहालय में संरक्षित किया गया है। यहां एक छायाचित्र दीर्घा का भी निर्माण किया गया है।
पर्याप्त वेतन नहीं, सुविधाएं भी नहीं मिल रहीं
कोरबा के पुरातत्व संग्रहालय में मार्गदर्शक के रूप में कार्यरत हरि सिंह क्षत्री को उनके पद व कार्य के अनुरूप वेतन व सुविधाएं नहीं मिल रही हैं जबकि वे कलेक्टर को बार-बार इस बाबत अवगत करा चुके हैं। शासकीय नियमों के अनुसार वेतन न मिलने से पुरातत्व संग्रहालय के मार्गदर्शक हरि सिंह क्षत्री बेहद दु:खी हैं। सच यह है कि हरी सिंह क्षत्री को उनकी अपनी चित्रकारी, पुरातत्व सामग्री के संरक्षण व संवर्धन के प्रयासाकें के लिए लगातार सार्वजनिक मंचों पर सराहना मिलती रही है। कई बार पुरस्कृत भी किए जा चुके हैं।
सांस्कृतिक व पुरातत्विक गतिविधियां बढ़ाने की जरूरत
कोरबा में प्रचुर मात्रा में पुरातत्व संपदा है और रामायणकालीन विरासत है लेकिन इसके प्रति आम लोगों खासकर नयी पीढ़ी को जागरूक करने की दिशा में प्रशासन ठोस कदम नहीं उठा रहा है। ऐसे में नयी पीढ़ी को यहां के प्राचीन वैभव, ऐतिहासिक व पुरातत्व से जुड़ी जानकारियां नहीं मिल रही हैं। प्रशासन को इस प्रकार की गतिविधियों का नियमित रूप से आयोजन करने की जरूरत है।