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कोरबा

विश्व संग्रहालय दिवस पर विशेष : ऊर्जाधानी में प्रचुर मात्रा में पुरासंपदा, संरक्षण और जागरूक करने की पहल जरूरी

– संग्रहीत की गयी वस्तुएं अनमोल हैं और इस बात की गवाही दे रही हैं कि ऊर्जाधानी की ऐतिहासिक व सांस्कृतिक दृष्टि से काफी समृद्धशाली रही है

कोरबाMay 18, 2018 / 12:58 pm

Shiv Singh

विश्व संग्रहालय दिवस पर विशेष : ऊर्जाधानी में प्रचुर मात्रा में पुरासंपदा, संरक्षण और जागरूक करने की पहल जरूरी

विश्व संग्रहालय दिवस पर विशेष : ऊर्जाधानी में प्रचुर मात्रा में पुरासंपदा, संरक्षण और जागरूक करने की पहल जरूरी

कोरबा . कोरबा में पुरासंपदा की कमी नहीं है और जंगल से लेकर शहरी क्षेत्र तक ऐतिहासिक व सांस्कृतिक धरोहरें बिखरी पड़ी हैं। इन्हें सहेजने व संवारने के लिए ऊर्जाधानी में संग्रहालय की स्थापना की गयी है लेकिन सुविधाओं के अभाव में यह संग्रहालय अपने उद्देश्यों की पूर्ति नहीं कर पा रहा है। संग्रहालय विभाग और स्थानीय अधिकारी भी यहां सुविधाएं बढ़ाने के बजाय उपेक्षा का भाव दर्शा रहे हैं।
१८ मई को विश्व संग्रहालय दिवस के रूप में मनाया जाता है। ओपन थियेटर घंटाघर चौक स्थित जिला संग्रहालय में संग्रहीत की गयी वस्तुएं अनमोल हैं और इस बात की गवाही दे रही हैं कि ऊर्जाधानी की ऐतिहासिक व सांस्कृतिक दृष्टि से काफी समृद्धशाली रही है।
संग्रहालय में रखे गए चित्र, जमींदारी के समय की ऐतिहासिक वस्तुएं, अंग्रेजों से लोहे लेने वाले हथियार आदि बहुत सारी चीजें हैं।
इससे भी अधिक संग्रहालय में आदिवासी संस्कृति के गौरवशाली इतिहास को दिखाने वाली आर्ट गैलरी भी है। जिला पुरातत्व संग्रहालय में संग्रहीत प्रतिमाओं की संख्या दो दर्जन से अधिक है और इन प्रतिमाओं का कालखंड लगभग ११वीं सदी ईस्वी से लेकर १५ वीं सदी ईस्वी के मध्य अनुमानित है। संग्रहालय में हजारों साल पुराना जीवाश्म भी हैं। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे यहां देखने के लिए बहुतायत में आते हैं। शैक्षिक भ्रमण भी क्रमश: होता रहता है।
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संरक्षण के लिए बनाया संग्रहालय
ऊर्जाधानी की ऐतिहासिक व पुरातात्विक विरासत को संजोने और यहां के स्थानीय लोगों को अपनी पुरासंपदा से परिचित कराने के मकसद से संस्कृति छत्तीसगढ़ संस्कृति विभाग ने जिला पुरातत्व कोरबा के माध्यम से यह संग्रहालय निर्मित कराया। इसमें मुख्य रूप से जिले के पाली,लाफा,तुमान,कनकी, रजकम्मा तथा वीरतराई आदि क्षेत्रों से प्राप्त मूर्तियों एवं पुरावशेषों तथा जमींदारी कालीन स्मृति चिंहों एवं वस्त्राभूषणों को भी संग्रहालय में संरक्षित किया गया है। यहां एक छायाचित्र दीर्घा का भी निर्माण किया गया है।

पर्याप्त वेतन नहीं, सुविधाएं भी नहीं मिल रहीं
कोरबा के पुरातत्व संग्रहालय में मार्गदर्शक के रूप में कार्यरत हरि सिंह क्षत्री को उनके पद व कार्य के अनुरूप वेतन व सुविधाएं नहीं मिल रही हैं जबकि वे कलेक्टर को बार-बार इस बाबत अवगत करा चुके हैं। शासकीय नियमों के अनुसार वेतन न मिलने से पुरातत्व संग्रहालय के मार्गदर्शक हरि सिंह क्षत्री बेहद दु:खी हैं। सच यह है कि हरी सिंह क्षत्री को उनकी अपनी चित्रकारी, पुरातत्व सामग्री के संरक्षण व संवर्धन के प्रयासाकें के लिए लगातार सार्वजनिक मंचों पर सराहना मिलती रही है। कई बार पुरस्कृत भी किए जा चुके हैं।

कोरबा के संग्रहालय में कामकाज को देखने के लिए जगदलपुर संग्रहालय से दो कर्मचारियों को दैनिक वेतन पर रखा गया है जबकि यहां इस तरह का शासकीय स्तर पर कोई पद ही सृजित नहीं किया गया है। संग्रहालय में पुरासंपदा को आधुनिक तरीके से संरक्षित करने, आने-जाने वालों को अत्याधुनिक तरीके से जानकारी देने की भी व्यवस्था शासकीय स्तर पर नहीं दी जा रही है।

सांस्कृतिक व पुरातत्विक गतिविधियां बढ़ाने की जरूरत
कोरबा में प्रचुर मात्रा में पुरातत्व संपदा है और रामायणकालीन विरासत है लेकिन इसके प्रति आम लोगों खासकर नयी पीढ़ी को जागरूक करने की दिशा में प्रशासन ठोस कदम नहीं उठा रहा है। ऐसे में नयी पीढ़ी को यहां के प्राचीन वैभव, ऐतिहासिक व पुरातत्व से जुड़ी जानकारियां नहीं मिल रही हैं। प्रशासन को इस प्रकार की गतिविधियों का नियमित रूप से आयोजन करने की जरूरत है।

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