गौरतलब है कि अप्रैल माह में ही दो अलग-अलग स्थानों पर मालगाड़ी डी-रेल हो गई थी। यह टे्रक मेंटेनेंस में लापरवाही की वजह से हुई थी। इसके अलावा जुनाडीह साइडिंग का दो साल से सिग्नल का मेंटेनेंस नहीं हुआ है। कर्मचारियों द्वारा मैन्युअल कार्य किया जा रहा है। ट्रैक मेंटनेंस में भी लापरवाही बरती जा रही है। इससे आए दिन दुर्घटनाएं हो रही है। बताया जा रहा है कि दोनों प्रबंधन के बीच कुछ भुगतान को लेकर भी पेंच फंसा हुआ है। इसे जल्द ही समाधान करने को लेकर निर्णय लिया गया है। साइडिंग पर ट्रैक व सिग्नल मेंटेनेंस की जिम्मेदारी एसईसीएल प्रबंधन की होती है। इसके बाद कुसमुंडा व जुनाडीह साइडिंग पर लगभग आधे-आधे घंटे तक निरीक्षण किया गया। रेलवे अधिकारियों को भी सुरक्षा व व्यवस्था पर जोर दिया गया।
कोयला परिवहन पर जोर
लॉकडाउन के बाद भी रेल कोयला परिवहन धीमी हो गई है। सामान्य दिनों में 40 से 45 रैक कोयला कोरबा से रवाना होती थी, लेकिन यह घटकर 28 से 30 हो गई है। इसकी वजह कोरोना वायरस की वजह से एसईसीएल में कर्मचारियों की कमी को बताया जा रहा है।
यात्री टे्रनों के परिचालन पर नहीं हुई चर्चा
कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से लॉकडाउन है। यात्री ट्रेनें बंद है। इस बीच कई यात्री बाहर से आए हुए कोरबा में फंस गए है। यात्री लॉकडाउन के बाद चार मई से ट्रेनों का परिचालन शुरू होने का उम्मीद लगाए हुए हैं, लेकिन निरीक्षण में आए बिलासपुर के रेलवे अधिकारियों ने यात्री ट्रेनों के परिचालन के संबंध किसी प्रकार की चर्चा नहीं की गई। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि यात्री टे्रन शुरू करने से पहले प्रचार-प्रसार किया जाएगा। इसके पहले कोरोना वायरस के संक्रमण के रोकथाम व बचाव के लिए यात्रियों की सुरक्षा व व्यवस्था की जाएगी। अभी इस पर किसी भी प्रकार का निर्णय नहीं लिया गया है।