छह साल से चल रही प्रक्रिया
सितंबर 2013 में हसदेव ताप विद्युत गृह परिसर में 500 मेगावाट की नई इकाई का निमार्ण कार्य पूरा हुआ था। इस इकाई तक कोयले की आपूर्ति एसईसीएल की कुसमुंडा खदान से होनी है। इसके लिए कन्वेयर बेल्ट बिछाने का कार्य चल रहा है। बेल्ट बिछाने का लगभग 90 फीसदी काम पूरा हो गया था। कुसमुंडा क्षेत्र में बरमपुर के पास से गुजरने वाली रेल लाइन के उपर से कन्वेयर बेल्ट बिछाने की कोशिश बिजली कंपनी की ओर से की जा रही है। लेकिन कोयले की ढोलाई का दबाव अधिक होने से रेलवे की ओर से ब्लॉक नहीं मिल रही थी। इसे लेकर बिजली कंपनी ने समय-समय पर नाराजगी भी जताई। पहली लाइन के लिए रेल प्रशासन की ओर से तीन घंटे का ब्लॉक दिया गया।
दो लाइन के लिए चाहिए और ब्लॉक
कुसमुंडा से हसदेव ताप विद्युत गृह तक कोयले की आपूर्ति के लिए कन्वेयर बेल्ट की तीन लाइन बिछाई जाएगी। गाटर लगाने के साथ ही पहली लाइन के लिए कन्वेयर बेल्ट बिछाने का काम पूरा हो गया था। दूसरी लाइन के लिए रेलवे 30 अक्टूबर को ब्लॉक देने जा रहा है। तीसरी लाइन के लिए ब्लॉक की तिथि तय नहीं है।
साइलो से कन्वेयर के जरिए होगी कोयले की आपूर्ति
हसदेव ताप विद्युतगृह को कोयले की आपूर्ति कन्वेयर बेल्ट के साथ साथ रेलमार्ग से भी होती है। यहां 210 मेगावाट की तीन और 500 मेगावाट की एक इकाई स्थापित है। संयंत्र को फूल लोड पर चलाने के लिए कंपनी को लगभग 18 मिट्रिक टन कोयले की जरूरत प्रतिदिन है। वर्तमान में खदान से संयंत्र को जरूरत के अनुसार कोयला नहीं मिल रहा है। इसका असर उत्पादन पर पड़ रहा है।