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कोरबा

ग्रामीण क्षेत्रों में समय पर नहीं पहुंच रहा रेडी टू ईट

कोरबा. छत्तीसगढ़ एग्रो फूड कार्पोरेशन लिमिटेड द्वारा रेडी टू ईट के वितरण में लापरवाही शुरु कर दी गई है। दरअसल ग्रामीण क्षेत्रों के कई सेक्टरों में रेडी टू ईट नहीं पहुंच पा रहा है। जहां पहुंच रहा है वहां भी विलंब से।

कोरबाJun 21, 2022 / 05:45 pm

CHOTELAL YADAV

ग्रामीण क्षेत्रों में समय पर नहीं पहुंच रहा रेडी टू ईट

ग्रामीण क्षेत्रों में समय पर नहीं पहुंच रहा रेडी टू ईट

इसके साथ ही सेक्टरों से आंनगबाड़ी केन्द्रों तक पहुंचने में भी देरी हो रही है। जून महीना आधा से अधिक बीत जाने के बाद भी रेडी टू ईट के नहीं बंटने की वजह से अब छत्तीसगढ़ एग्रो फूड कार्पोरेशन लिमिटेड पर सवाल उठने लगे हैं।
गौरतलब है कि अब तक स्व सहायता समुहों के पास ये काम था।
सरकार द्वारा अब इसकी जिम्मेदारी एक संस्था को दे दी गई है। रेडी टू ईंट सही तरीके से बंटे इसके लिए जिला व ब्लॉक समन्वयक नियुक्त किए गए हैं, लेकिन उसके बाद भी स्थिति नहीं सुधर पा रही है। शहरी क्षेत्र में वितरण समय पर हो जा रहा है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में रेडी टू ईट प्रदाय करने के लिए कंपनी द्वारा अब तक नेटवर्क मजबूत नहीं किया गया है। यही वजह है बीहड़ अंचलों में समय पर रेडी टू ईंट का वितरण नहीं हो पा रहा है।

गौरतलब है कि सरकार द्वारा लिए गए निर्णय के खिलाफ याचिका हाइकोर्ट में लगाई गई थी। लगातार लोगों द्वारा विरोध किया जा रहा था। निर्णय होने तक रेडी टू ईट का वितरण पूरी तरह से बंद था। अब जब शुरु होने जा रहा है तो भी लापरवाही सामने आ रही है।


0 गोदाम से आंगनबाड़ी तक पहुंचने में लग रहे तीन दिन
छत्तीसगढ़ एग्रो फूड कार्पोरेशन लिमिटेड द्वारा रेडी टू ईंट को कुछ जगहों पर सेक्टरों के गोदाम तक पहुंचा दिया जा रहा है लेकिन उसके आगे आंगनबाड़ी केन्द्रों तक पहुंचाने में लापरवाही बरती जा रही है। गोदाम से आंगनबाड़ी केन्द्रों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी सेक्टर सुपरवाइजर की होती है, लेकिन सुपरवाइजर को किसी तरह की संसाधन नहीं मिलने की वजह से वितरण सुचारु रुप से नहीं हो पा रहा है।


0 14 परियोजना में ढाई हजार आंगनबाड़ी
जिले के कुल 14 परियोजना के अंतर्गत ढाई हजार से अधिक आंगनबाड़ी केन्द्रों में सप्ताह में दो दिन रेडी टू ईट समय पर पहुंच सके इसके लिए किसी तरह की ठोस सिस्टम नहीं बनाया गया है। इससे पूर्व रेडी टू ईट बनने से लेकर बंटने तक का एक सुचारु सिस्टम बन गया था। जहां लापरवाही या देरी होती थी पकड़ में भी आ जाता था, अभी कंपनी, ब्लॉक समन्वयक और सेक्टर सुपरवाइजर के बीच समन्वय की कमी देखी जा रही है।

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