इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए एसईसीएल ने सभी एरिया को भी नया लक्ष्य सौंप दिया है। इसके अनुसार सबसे अधिक गेवरा से 49 मिलियन टन कोयला खनन का लक्ष्य है। जबकि कुसमुंडा से 47 मिलियन टन कोयला खोदा जाएगा। कंपनी ने दीपका और कोरबा एरिया से भी लक्ष्य तय कर दिया है। ऊर्जा जरुरत की पूर्ति के लिए केन्द्र सरकार लगाकार कोयला खनन का लक्ष्य बढ़ा रही है। इसकी पूर्ति के लिए स्थानीय प्रबंधन पर दबाव है।
उत्पादन लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाया एसईसीएल, इसके बाद भी अन्य कंपनियों को पछाड़ा, इतना टन किया कोयला खनन वित्तीय वर्ष 2019-20 में एसईसीएल ने 150.545 मिलियन टन कोयला उत्पादन किया। यह कोल इण्डिया के सभी अनुषंगी कम्पनियों में से सर्वाधिक है। इसके बाद भी कंपनी लक्ष्य को पूरा नहीं है। इसके अलावा बीसीसीएल, सीसीएल, ईसीएल और डब्ल्यूसीएल भी लक्ष्य तक नहीं पहुंची है। इसका बड़ा कारण कोयला खदानों की वर्तमान समस्याएं बताई जा रही है। इसमें जमीन की कमी, घटता हुआ मेनपॉवर और अत्याधुनिक मशीनों का अभाव बताया जा रहा है।
वित्तीय वर्ष 2019-20 में कोलइण्डिया ने 602.14 मिलियन टन कोयला उत्पादन किया जिसमें से एसईसीएल ने 150.545 मिलियन टन कोयला उत्पादन किया है। कोल इण्डिया की दूसरी सर्वाधिक कोयला उत्पादक कम्पनी एसईसीएल से 10 मिलियन टन पीछे है। तीसरी सर्वाधिक कोयला उत्पादक कम्पनी 42 मिलियन टन पीछे है। एसईसीएल ने दूसरी बार 150 मिलियन टन कोयला उत्पादन के आंकड़े को पार किया।
रेलवे के अधिकारी व कर्मचारी ड्यूटी के बाद थाम रहे सिलाई मशीन, कोरोना को मात देने तैयार कर रहे मास्क एसईसीएल के कोयला उत्पादन में सभी क्षेत्रों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। गेवरा क्षेत्र ने इस वर्ष 45 मिलियन टन कोयला उत्पादन किया जो इस क्षेत्र का अब तक का सर्वाधिक कोयला उत्पादन है, वहीं कुसमुण्डा क्षेत्र द्वारा 42.331 मिलियन टन कोयला उत्पादन करते हुए क्षेत्र के वार्षिक उत्पादन लक्ष्य को पार किया।