scriptबारनवापारा अभयारण्य से गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में इस काम के लिए लाए गए 30 चीतल | Deer: 30 deer took Guru Ghasidas national park from Barnavapara | Patrika News

बारनवापारा अभयारण्य से गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में इस काम के लिए लाए गए 30 चीतल

locationकोरीयाPublished: Jan 20, 2022 02:51:36 pm

Deer: गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान (Guru Ghasidas National Park) में आने वाले पयर्टकों (Tourists) को लुभाएंगे वन्यजीव, बलौदाबाजार बारनवापारा अभ्यारण्य से लाए गए 30 चीतलों को 20 दिन ऑब्जर्वेशन (Observation) में रखकर जंगल में छोड़ा जाएगा

Cheetal

Deer

बैकुंठपुर. Deer: गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में पयर्टकों को वन्यजीव प्राणी लुभाएंगे। बारनवापारा अभ्यारण्य से 30 नग चीतल लाए गए हैं। जिनको पार्क एरिया में 20 दिन तक विशेष ऑब्जर्वेशन में रखा गया है। फिर राष्ट्रीय उद्यान एरिया के जंगल में छोड़ा जाएगा। पहले चरण में 30 नग चीतल लाए गए हैं। राष्ट्रीय उद्यान (National Park) में चीतल लाने की बहुत से तैयारी थी, लेकिन कोरोना संक्रमण काल के कारण लेटलतीफी हुई। फिलहाल गुुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में फरवरी महीने में चीतल (Cheetal) विचरण करते नजर आएंगे। वहीं दूसरी चरण में जल्द 150 नग चीतल लाने की कवायद शुरू कर दी गई है।

गौरतलब है कि गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान का एरिया 1440.57 वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ है। उद्यान क्षेत्र में बाध, मोर, तेंदुआ, नीलगाय, भालू, चीतल, हिरण, बारह सिंघा, चिरकभाल, जंगली बिल्ली सहित ३२ प्रकार के जंगली जानवर हैं।

जंगल में गौर भी जल्द नजर आएंगे
राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन के अनुसार वन्य प्राणी गौर लाने की कवायद शुरू कर दी गई है। बलौदाबाजार बारनवापारा से ४६ नग गौर लाने अप्रुअल मिल चुका है। उद्यान प्रबंधन जर्जर बाड़े को संवारने में जुट गया है। करीब 3 साल पहले वन्यप्राणी गौर लाकर वंशवृद्धि करने प्रोजेक्ट बनाया गया था।
राज्य सरकार से स्वीकृति मिलने के बाद करोड़ों खर्च कर गौर बाड़ा बनाया गया है। लेकिन पार्क परिक्षेत्र के वन अफसरों की लापरवाही के कारण गौर बाड़ा जर्जर हो चुके हैं। फेंसिंग तार व लकड़ी के खंभे टूट गए हैं। वहीं कोरोना काल के कारण गौर प्रोजेक्ट को करीब दो साल से ठण्डे बस्ते में डाल दिया गया था। अब राष्ट्रीय उद्यान में मार्च 2022 में गौर विचरण करते नजर आएंगे।

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टाइगर रिजर्व बनने के बाद पर्यटन सुविधाएं बढ़ेंगी
नेशनल टाइगर कंजर्वेशन ऑथारिटी (एनटीसीए) गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व बनाने अप्रुअल मिल चुका है। जिसका एरिया 1440.57 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। वर्ष 2005 के सर्वेक्षण के हिसाब से 32 प्रकार के वन्यजीव प्राणी विचरण करते हैं। गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और सरगुजा के तमोर पिंगला अभयारण्य को मिलाकर टाइगर रिजर्व बनाया जाएगा। पहली बार टाइगर रिजर्व का पूरा क्षेत्रफल आया।
टाइगर रिजर्व के कोर जोन में 2 हजार 49 वर्ग किलोमीटर तथा बफर जोन में 780 वर्ग किलोमीटर जंगल है। वहीं 2 हजार 829 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल टाइगर रिजर्व का हिस्सा होगा। छत्तीसगढ़ फॉरेस्ट ने वर्ष 2019 में गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और तमोर पिंगला अभयारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने का प्रस्ताव पारित किया था।
जिसमें प्रस्तावित टाइगर रिजर्व का क्षेत्रफल नहीं था। एनटीसीए से गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व बनाने अनुमति मिल चुकी है। नोटिफिकेशन जारी होने के बाद गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान, भारत का ५३वां टाइगर रिजर्व अस्तित्व में आएगा।

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20 दिन की विशेष निगरानी के बाद जंगल में छोड़ेंगे
गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान (National Park) में करीब 30 की संख्या में चीतल लाए गए हैं। जिनको 20 दिन तक विशेष निगरानी में रखा गया है। उसके बाद जंगल में छोड़ा जाएगा। वहीं 150 की संख्या में और चीतल लाने की तैयारी है।
आर. रामाकृष्णा वाई, डायरेक्टर गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान कोरिया
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