scriptपत्रिका एक्सक्लूसिव: वंश बढ़ाने गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में नजर आएंगे साउथ अफ्रीका के चीते | South African leopards will be seen in Guru Ghasidas National Park | Patrika News

पत्रिका एक्सक्लूसिव: वंश बढ़ाने गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में नजर आएंगे साउथ अफ्रीका के चीते

locationकोरीयाPublished: Dec 18, 2020 01:24:17 pm

South Africa Leopard: भारत में 73 साल पहले आखिरी चीते (Leopard) का हुआ था शिकार, कोरिया-रामगढ़ के जंगल में रखे जाएंगे चीते, भारत (India) में वर्ष 1952 में वन्य जीव चीता को विलुप्त घोषित कर दिया गया है

पत्रिका एक्सक्लूसिव: वंश बढ़ाने गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में नजर आएंगे साउथ अफ्रीका के चीते

Guru Ghasidas National Park

बैकुंठपुर. भारत का आखिरी 73 साल पहले जिस जंगल में आखिरी चीते का शिकार कर अस्तित्व खत्म कर दिया था, उसी जंगल के गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान रामगढ़-सोनहत में साउथ अफ्रीका (South Africa) से चीता लाकर वंश बढ़ाने की तैयारी है। मामले में केंद्र सरकार ने वन विभाग छत्तीसगढ़ से रिपोर्ट मांगी है।

भारत में वर्ष 1952 में वन्यजीव चीता को विलुप्त घोषित कर दिया गया है। वहीं बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री (Natural History) के दस्तावेज के मुताबिक वर्ष 1947 में भारत का आखिरी चीते का रामगढ़ के जंगल में शिकार करने का उल्लेख है। स्थानीय बुजुर्गो का मानना है कि कोरिया रियासत के महाराजा ने गांव की रक्षा के लिए आदमखोर चीते का शिकार किया था।
हालांकि चीते का शिकार करने का कोई प्रमाण नहीं है, जिसे कोरिया जिले एवं भारत में चीता (Leopard) दिखने की अंतिम घटना मानी जाती है। मामले में वर्ष 2010 में सर्वे सहित अध्ययन कराया गया था और वर्ष 2012 में साउथ अफ्रीका से चीता लाने कवायद शुरू की गई थी। उस समय देशभर के चुनिंदा राष्ट्रीय उद्यान का सर्वे कराया गया था।
इसके बाद दक्षिण अफ्रीका से चीते लाकर रखने के लिए अनुकूल रहवास क्षेत्रों का चयन करने का प्रोजेक्ट बना था। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (डब्ल्यूआईआई) और वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट आफ इंडिया (डब्ल्यूटीआई) ने सर्वे किया था। इसमेंं गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान का चयन किया गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित था।
करीब 10 साल बाद सुप्रीम कोर्ट से हरी झण्डी मिलने के बाद केंद्र सरकार (Central Government) ने वन विभाग छत्तीसगढ़ को पत्र लिखकर गुरु घासीदास नेशनल पार्क में प्राकृतिक रूप से चीता के रहने, खाने के किस तरह के इंतजाम हैं। वन विभाग से सर्वे कर रिपोर्ट मांगी गई है। जिससे इस प्रक्रिया में तेजी आएगी।

साउथ अफ्रीका के नामीबिया से चीते लाए जाएंगे
चीता के लिए उपयुक्त राष्ट्रीय उद्यान को लेकर दिल्ली में बैठक हुई थी। उसके बाद राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से सभी राष्ट्रीय उद्यान का ब्योरा भी मांगा था। योजना के तहत कुल 20 चीता साउथ अफ्रीका के नामीबिया से लाने की तैयारी है। हालांकि गुरु घासीदास राष्ट्रीय में कितने चीते लाए जाएंगे, फिलहाल स्पष्ट नहीं है। ऐसी चर्चा है कि पहली खेप में सिर्फ दो या तीन लाए जाएंगे।
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केंद्र सरकार ने 10 साल बाद दोबारा रिपोर्ट मांगी
सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित होने के कारण चीता लाने के प्रोजेक्ट को लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया था। मामले में करीब 10 साल बाद चीता लाने के कार्य में तेजी जाएगी। जिससे केंद्र सरकार ने इतने बरस बीत जाने की वजह से दोबारा सर्वे करने के लिए पत्र लिखा है, जिसमें वन विभाग से पूछा है कि आठ साल पहले हुए सर्वे के बाद गुरु घासीदास नेशनल पार्क में किस तरह का बदलाव आया है।
राष्ट्रीय उद्यान में चीता के रहने की क्या संभावनाएं हैं, रहवास एरिया को किस तरह से अपग्रेड व संसाधन-सुविधाएं बढ़ाई जा सकती है। वन विभाग लांग टर्म प्लान बनाए और अन्य कोई जगह उपयुक्त होने पर वह भी बताएं। जिससे साउथ अफ्रीका का चीता आसानी से रह सकता है।

कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद भेजा गया है प्रपोजल
करीब दस साल पहले सर्वे हुआ था। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित था। कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ के माध्यम से केंद्र सरकार को प्रपोजल भेजा गया था। मामले में केंद्र सरकार का पत्र आया है। चीता अफ्रीका से लाया जाना है। उससे पहले डब्ल्यूआईआई व डब्ल्यूटीआई की टीम सर्वे करने आएगी। संभवत: वर्ष 2021 शुरुआत में सर्वे करने आ सकती है।
आर. रामाकृष्णा वाई, डायरेक्टर गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान कोरिया
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