गौरतलब है कि चिरमिरी में महापौर बंगले की मरम्मत के नाम पर 30 लाख की स्वीकृति मिली है। उससे पहले बिना राशि मंजूरी व निविदा के महापौर बंगले में तोडफ़ोड़ की गई थी। मामला मीडिया में आने के बाद कार्य को रोक दिया गया था। फिर राशि स्वीकृत नहीं होने का हवाला दिया गया। बंगले को तोडऩे के बाद शासन से मरम्मत के लिए 30 लाख की स्वीकृति मिली है।
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मामले में आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा का आरोप है कि एक अच्छे-खासे बंगले को तोड़कर तहस-नहस कर दिया गया। इतनी बड़ी राशि से नया बंगले का निर्माण हो सकता था। बड़ी बात यह है कि सूचना के अधिकार में जानकारी मिली है। इसमें महापौर को बंगले देने का नियम नहीं है। बावजूद शासन ने महापौर के रहने के लिए 30 लाख की स्वीकृति दी है।
हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की तैयारी
आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा का कहना है कि जून 2020 में सूचना का अधिकार के तहत आवेदन लगाया था, जिसमें नगर निगम चिरमिरी महापौर बंगला में जो कार्य हुआ है, उसका मुझे निरीक्षण कराने आवेदन प्रस्तुत किया था। पहले निगम के अधिकारी इसके लिए सहमत नहीं थे। नियम पूछे तो मैंने नियम बताया।
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फिर भी स्पष्ट रूप से मना कर दिया गया कि हम उसका निरीक्षण नहीं कराएंगे। प्रथम अपील लगाने के बाद जून 2020 के मामले में अभी निरीक्षण करने गया। निरीक्षण करने पर पाया कि इसमें गंभीर अनियमिता हुई है। जो बंगला पूरी तरह से सेटल्ड था। उसे तोडफ़ोड़ कर पूरी तरह तहस-नहस कर दिया गया है।
सूचना के अधिकार में जानकारी मिली है कि शासन से 30 लाख महापौर बंगले की मरम्मत कराने बजट आया है। इतने राशि से एक नया बंगला बनाया जा सकता है। यह भी जानकारी मिली है कि महापौर को बंगला देने का कोई नियम ही नहीं है। फिर महापौर के लिए उस बंगले को तोडऩे की आवश्यकता क्या थी। मामले को लेकर एफआईआर कराने थाने में दस्तावेज प्रस्तुत करूंगा। जरूरत पडऩे पर हाईकोर्ट तक जाऊंगा।
29 लाख 96 हजार की हुई है स्वीकृति
शासन से अधोसंरचना मद अंतर्गत महापौर निवास की मरम्मत एवं नवीनीकरण के लिए 29 लाख 96 हजार की स्वीकृति हुई है। वर्तमान में कार्य के लिए निविदा जारी नहीं की गई है। इससे पहले क्या हुआ है। मुझे इसकी जानकारी नहीं है।
योगिता देवांगन, आयुक्त नगर निगम चिरमिरी