किसी भी सघन वन क्षेत्र को दर्जा देने से पूर्व वहां की भौगोलिक परिस्तिथियों के अध्ययन के बाद राज्य सरकार को रिपोर्ट भेजी जाती है। विशेषज्ञों की राय के बाद मंत्रिमंडलीय समिति इसे हरी झंडी देती है। कोटा का मुकुन्दरा टाइगर हिल्स का नाम कांग्रेस शासन में राजीव गांधी नेशनल पार्क रखा गया था। भाजपा सरकार ने इसे बदलकर मुकुन्दरा टाइगर हिल्स कर दिया था। यहां बाघ भी भाजपाराज के दौरान ही लाए गए थे। बाघ को भोजन के रूप में चीतल व सांभर जैसे जानवर खासे प्रिय हैं। लेकिन शाहाबाद के जंगलों में यह दोनों ही नहीं हैं। वन विशेषज्ञों का कहना है कि चीतल व सांभर को शाहाबाद क्षेत्र में आसानी से बसाया जा सकता है। जिले का शाहाबाद वन क्षेत्र में बाघ आने के बाद पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। यहां रोजगार आजादी के बाद से ही बड़ा मुद्दा है। क्षेत्र में आदिवासी सहरियाओं का बाहुल्य भी है, जो इससे भलीभांति वाकिफ हंै। वन विभाग के सूत्रों के अनुसार पूर्व में राज्य सरकार के निर्देश पर वन विभाग ने क्षेत्र की प्राकृतिक परिस्तिथियों का आकलन किया था। इसके तहत शाहाबाद उपरेटी क्षेत्र को प्रथम माना था। यहां 16 हजार हैक्टेयर सघन वन हैं। पूर्व में यहां बाघों की उपस्थिति थी। डेढ़ दशक से यहां तेंदुओं (लेपर्ड) का बसेरा है। वहीं शाहाबाद वन क्षेत्र २ में बीलखेड़ा माल का करीब 18 हजार हैक्टेयर वन क्षेत्र शामिल किया गया था। यह जंगल मप्र की कुनु पालपुर सेंचुरी से जुड़ा है। शाहाबद में इन दोनों वन क्षेत्रों का क्षेत्रफल ३४ हजार हैक्टेयर है, जबकि कोटा के मुकुन्दरा टाइगर हिल्स का वन क्षेत्र 20 हजार हैक्टेयर है।
दीपक गुप्ता, उप वन संरक्षक, बारां
शाहाबाद घाटी में दिखा वन्यजीव तेंदुआ निकला
शाहाबाद. हाइवे पर मंगलवार देर रात घाटी क्षेत्र में देखे गए वन्य जीव की पुष्टि तेंदुआ (पैंथर) के रूप में हो गई है। देर रात वन्य जीव देखे जाने के बाद वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और सर्चिंग की, तब तक वह गायब हो चुका था। प्रत्यक्षदर्शियों से मिली जानकारी और वीडियो फोटो के अनुसार वन्य जीव स्पष्ट रूप से नजर नहीं आ रहा था। ऐसे में बुधवार सुबह जिले के आला अधिकारी शाहबाद पहुंचे और वन्यजीव के पगमार्क की तलाश की। इस पर घाटी में पगमार्क मिल गए, जिसकी पुष्टि पैंथर के पगमार्क होने के रूप में की गई है।