इस बार नीट की कट ऑफ में 45 अंकों का बढ़ोतरी देखने को मिली है। यह रिकॉर्ड है। पिछले साल जहां 605 नंबर पर 26485 स्टूडेंट्स थे, इस साल वे 76 हजार कैसे हो गए। यह समझ से परे है कि एक ही साल में बच्चे एक साथ तीन गुना इंटेलीजेंट हो गए।
ग्रेस मार्क्स की वजह से इतने ज्यादा स्टूडेंट्स टॉपर की लिस्ट तक पहुंच गए और कई स्टूडेंट्स के मार्क्स अच्छे होकर भी उनकी रैंकिंग काफी नीचे हो गई। याचिका में ग्रेस मार्क्स पर सवाल उठाए गए हैं।
याचिका में स्टूडेंट्स ने कई सवाल उठाए हैं जैसे-इस बार ऑल इंडिया फर्स्ट रैंक पर 67 स्टूडेंट्स रहे। पहली रैंक पर इतनी बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स कैसे आ गए? 718, 719 नंबर कैसे दिए? स्टूडेंट्स सारे सवाल सही करता तो 720 नंबर मिलते और एक भी गलत होता तो माइनस मार्किंग की वजह से अधिकतम 715 नंबर मिलते और एक सवाल छोड़ देता तो 716 अंक।