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कोटा

एक शर्त बदलते ही निगम को 86 लाख का फायदा

राष्ट्रीय दशहरा मेला में टेंट का मामला
– चार साल पहले 72 लाख में लगा था, इस बार 40 लाख का बजट

कोटाAug 31, 2018 / 10:53 pm

Deepak Sharma

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कोटा. मेला समिति के दबाव में साल 2015 में दशहरा मेले में टेंट लगाने की शर्त बदलने से नगर निगम को हर मेले में करीब चालीस लाख की सीधी बचत होने लग गई है। दशहरा मेले में चार साल पहले जो टेंट 72 लाख में लगता था, इस साल 40 लाख में लगेगा। पिछले तीन साल में निगम को इस तरह 86 लाख की बचत हो गई है। पिछले बोर्ड में तो यह भुगतान एक करोड़ रुपए तक होता था।
पिछले बोर्ड में दशहरा मेले में टेंट लगाने वाली फर्म को एक करोड़ से अधिक का भुगतान किया जाता था। मेला समिति अध्यक्ष राममोहन मित्रा का कहना है कि नए बोर्ड में समिति का गठन होते ही टेंट को लेकर वरिष्ठ पार्षदों और निगम के अधिकारियों से चर्चा की पता चला कि निगम की ओर से टर्नओवर और मेले में काम करने के अनुभव की एक शर्त डाल रखी थी। ऐसे में एक ही फर्म के अलावा कोटा की कोई भी फर्म निविदा प्रक्रिया में शामिल नहीं हो पाती थी। इससे निगम को प्रतिस्पद्र्धी दरें नहीं मिल पाती। साल 2015 में यह शर्त बदलते हुए टर्नओवर घटा दिया और अनुभव से रियायत दे दी। इससे निगम को सीधे तौर पर करीब 40 लाख रुपए का टेंट में फायदा हो गया है। निगम ने 2014 में मेले में टेंट लगाने की एवज में 72 लाख रुपए का भुगतान किया था। इस साल मेले में टेंट लगाने पर 40 लाख का बजट रखा है। इसके ई-टेण्डर भी जारी कर दिए हैं।
80 लाख का टेंट फ्री में लगा था

वर्ष 2015 में मेला समिति का गठन होते ही पुरानी फर्म को ही टेण्डर दिलाने के लिए निगम के कुछ पार्षदों और कर्मचारियों ने लॉबिंग कर महापौर से पुरानी शर्त पर ही निविदा जारी करा दी थी। पार्षद विवेक राजवंशी ने शर्त बदलने पर मेले में 80 लाख की जगह 40 लाख में टेंट लगाने की बात बोर्ड बैठक में कही थी लेकिन महापौर ने नहीं मानी। मेला समिति अध्यक्ष मित्रा और राजवंशी ने तत्कालीन आयुक्त से चर्चा कर एक टेंट व्यवसायी को सम्पूर्ण टेंट ही प्रायोजित करा दिया था। इससे निगम को 80 लाख रुपए की बचत हुई थी। इसके बाद से मेले में टेंट लगाने की राशि के भुगतान में कमी हो रही है।

आयुक्त ने जताई थी आपत्ति

तत्कालीन आयुक्त डॉ. विक्रम जिंदल ने कार्य समिति की बैठक में निगम में चल रहे गड़बड़झाले पर तंज सकते हुए कहा था कि जिस चायनीज लाइट की कुल कीमत 40 रुपए है, निगम उसे रोजाना 40 रुपए की दर से भुगतान कर रहा है। ऐसी तरह की गड़बड़ी रोकने के लिए टेण्डर प्रक्रिया में बदलाव किया था।

मेले में टेंट भुगतान

वर्ष राशि

2014 72

2015 प्रायोजित (80 लाख का बजट रखा था)

2016 50 लाख

2017 40 लाख

2018 40 लाख

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