पहला मामला नहीं है, राजस्थान के इस शहर में
कागजों में दफन मौतों के कई राज स्टाफ से कहा कि हमारा एडमिशन बना दो, वार्ड में शिफ्ट करा दो, लेकिन तीन घंटे इंतजार के बाद उनका एडमिशन पर्चा बना। उसके बाद कोरोना संदिग्ध वार्ड में लेकर गए। वहां हम कू लर के पास बेडशीट बिछाकर लेट गए। उस वार्ड में मृतक लालचंद भी था। उसकी रात 8.30 बजे सांस में तकलीफ हुई।
उसने स्टाफ को आवाज लगाई, लेकिन सुनी नहीं। लालचंद ने उसे स्टाफ को
बुलाने के लिए भेजा, उसने स्टाफ को आवाज लगाई, फिर भी स्टाफ नहीं आया।
कागजों में दफन मौतों के कई राज स्टाफ से कहा कि हमारा एडमिशन बना दो, वार्ड में शिफ्ट करा दो, लेकिन तीन घंटे इंतजार के बाद उनका एडमिशन पर्चा बना। उसके बाद कोरोना संदिग्ध वार्ड में लेकर गए। वहां हम कू लर के पास बेडशीट बिछाकर लेट गए। उस वार्ड में मृतक लालचंद भी था। उसकी रात 8.30 बजे सांस में तकलीफ हुई।
उसने स्टाफ को आवाज लगाई, लेकिन सुनी नहीं। लालचंद ने उसे स्टाफ को
बुलाने के लिए भेजा, उसने स्टाफ को आवाज लगाई, फिर भी स्टाफ नहीं आया।
शर्मनाक : पहले समय पर संभाला नहीं, मौत के बाद दो जांच कमेटी बनाई
रात 1 बजे लालचंद की तबीयत ज्यादा खराब हो गई। मुंह में झाग आने लगे।
पलंग पर चक्कर आकर गिर गया। उसने उसे संभाला नहीं, क्योंकि लालचंद की कोविड की जांच हुई थी। उसके पॉजिटिव आने के डर से उसके पास नहीं गया। उस समय उसने वीडियो बना लिया। उसके बाद फिर नर्सिंग स्टाफ के पास गया। उसका जवाब था कि मरीज तो डॉक्टर ही देखेगा। उसने रात 2.30 बजे चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को भेजा। उसने उसे बेड पर लिटाया। नर्सिंग स्टाफ ने लैंडलाइन पर फोन किया, लेकिन डॉक्टर का फोन नहीं लगा। डॉक्टर को मोबाइल पर कॉल किया। जब डॉक्टर आए तो उन्होंने उसे मृत घोषित कर दिया।
रात 1 बजे लालचंद की तबीयत ज्यादा खराब हो गई। मुंह में झाग आने लगे।
पलंग पर चक्कर आकर गिर गया। उसने उसे संभाला नहीं, क्योंकि लालचंद की कोविड की जांच हुई थी। उसके पॉजिटिव आने के डर से उसके पास नहीं गया। उस समय उसने वीडियो बना लिया। उसके बाद फिर नर्सिंग स्टाफ के पास गया। उसका जवाब था कि मरीज तो डॉक्टर ही देखेगा। उसने रात 2.30 बजे चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को भेजा। उसने उसे बेड पर लिटाया। नर्सिंग स्टाफ ने लैंडलाइन पर फोन किया, लेकिन डॉक्टर का फोन नहीं लगा। डॉक्टर को मोबाइल पर कॉल किया। जब डॉक्टर आए तो उन्होंने उसे मृत घोषित कर दिया।
मौत होने तक तड़पते रोगी को देखने कोई नहीं पहुंचा, मदद की जगह वीडियो किया वायरल
मेरी नौकरी खतरे में, आप लिखकर दो
नरेन्द्र ने बताया कि जब वह डिस्चार्ज होने लगा तो नर्सिंग स्टाफ उसके
पास आया और बोला, मेरी नौकरी खतरे में है, आप लिखकर दे दो। वह खुद उसेपहले अधीक्षक कक्ष की तरफ लेकर गया, उसके चेम्बर में लेकरउसने लिखित में देने से मना कर दिया।
मेरी नौकरी खतरे में, आप लिखकर दो
नरेन्द्र ने बताया कि जब वह डिस्चार्ज होने लगा तो नर्सिंग स्टाफ उसके
पास आया और बोला, मेरी नौकरी खतरे में है, आप लिखकर दे दो। वह खुद उसेपहले अधीक्षक कक्ष की तरफ लेकर गया, उसके चेम्बर में लेकरउसने लिखित में देने से मना कर दिया।
मैंने कोई पैसों की मांग नहीं की नरेन्द्र ने बताया कि वार्ड में उनके साथ उनकी पत्नी 17 साल की बेटी भी
थी। उन्होंने खुद घटना आंखों देखी है। उनके बयान लिए जा सकते है। यदि मुझे स्टाफ से पैसे लेने होते तो मैं खुद उसे फोन करता। उससे सम्पर्क करता, लेकिन मैंने ऐसा कुछ नहीं किया। पैसों के मामलों में मुझे गलत फंसाया गया।
थी। उन्होंने खुद घटना आंखों देखी है। उनके बयान लिए जा सकते है। यदि मुझे स्टाफ से पैसे लेने होते तो मैं खुद उसे फोन करता। उससे सम्पर्क करता, लेकिन मैंने ऐसा कुछ नहीं किया। पैसों के मामलों में मुझे गलत फंसाया गया।