यह जांच न करवाना पड़ सकता है भारी वाहन चालकों को
पार्किंग एरिया की कमी को देखते हुए ही 21 मार्च 2010 को Rajasthan High Court ने एक आदेश जारी किया था। इसके तहत चौपहिया वाहनों का रजिस्ट्रेशन उसी व्यक्ति को जारी करने का आदेश था, जिसके आवासीय परिसर में वाहन खड़ा किया जा सके। हाईकोर्ट ने इसके लिए उपभोक्ता से पार्किंग के लिए एक शपथ पत्र देने की बाध्यता भी रखी।
ये दिए थे आदेश
हाईकोर्ट के आदेशानुसार कार मालिक शपथ-पत्र तो देता है, लेकिन परिवहन विभाग के अधिकारी बिना मौके की जांच करे ही कारों का रजिस्ट्रेशन जारी कर देते हैं। इसके चलते घरों में गाड़ी पार्किंग करने की जगह नहीं होने के कारण सड़कों पर कारों का जमघट लगा रहता है। इसके चलते हाईकोर्ट ने परिवहन विभाग को कार मालिकों को नोटिस देने का आदेश दिया था।
जरा संभलकर कहीं आप का फोटो न खींच जाए ट्रैफिक पुलिस के हाथों
पत्रिका संवाददाता ने शहर में अलग-अलग स्थानों पर घूमकर इन शपथ-पत्रों की हकीकत जानी तो अधिकतर कार मालिकों के वाहन बाहर ही खड़े मिले, जो लोगों के आवागमन में बाधा बन रहे हैं। वल्लभबाड़ी, तलवंंडी, कंसुआ, गुमानपुरा, कुन्हाड़ी, विज्ञान नगर, गणेश तालाब, शॉपिंग सेन्टर, रामपुरा, छावनी सहित अन्य क्षेत्रों में घरों के बाहर कारों का जमावड़ा लगा हुआ दिखा। कई कॉलोनियों में तो घर का आकार बहुत छोटा है। इस कारण पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है।
अगर वाहन मालिक द्वारा वाहन का रजिस्ट्रेशन कराते समय घर में पार्किंग होने का झूठा शपथ पत्र दिया गया है तो जांच कर उसके खिलाफ कोर्ट इस्तगासा पेश कर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
-धर्मेन्द्र चौधरी, प्रादेशिक परिवहन अधिकारी, कोटा
भादसं के अध्याय ग्यारह में झूठे शपथ पत्र एवं झूठी गवाही के सम्बन्ध में प्रावधान है, यदि कोई व्यक्ति जो कानून अनुसार सत्य बोलने को बाध्य है और वह झूठ बोलता है तो ऐसे व्यक्ति को धारा 193 के तहत तीन वर्ष तक का कारावास एवं जुर्माने से दण्डित किया जा सकेगा। जिला परिवहन अधिकारी जो कि लोक सेवक की परिभाषा में आते हैं। इनके समक्ष झूठा शपथ पत्र दिया जाना इस धारा के तहत दण्डनीय अपराध है। ऐसे शपथ पत्र के आधार पर अपनी राय बनाते हैं कि ऐसे शपथ कर्ता के पास पार्किंग की व्यवस्था है और इसी कारण उसके वाहन का पंजीयन किया जाता है।
-विवेक नंदवाना, एडवोकेट