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गांव में स्थित खेत में पहुंचने के बाद पहले से टूट कर पड़ा 11 केवी विद्युत लाइन से करंट लग गया। उपचार के लिए राजकीय सामुदायिक चिकित्सालय पहुंचा तो उसे कोटा भेज दिया। कोटा में उसके दोनों हाथ व पैर काटने पड़े। इस दर्दनाक हादसे से बंजारा अब जिन्दा लाश बनकर घर पर ही चारपाई पर पड़ा रहता है। पत्नी उसकी देखभाल में जुटी रहती है। शासन व प्रशासन की उदासीनता से परिवार अब तक न्याय के लिए भटक रहा है।सरकारी योजनाओं का नहीं मिला लाभ
स्टेट बीपीएल में चयनित होने के बाद भी भैरूलाल को कोई मदद नहीं मिल पाई। उपचार में उसके 1 लाख 10 हजार रुपए खर्च हो गए। वह पहले कोटा गया, जहां उपचार नहीं कर जयपुर के सरकारी चिकित्सालय में भेज दिया। वहां सात दिन में 70 हजार रुपए खर्च हुए। मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना व प्रधानमंत्री की नि:शुल्क चिकित्सा योजना का लाभ तक नहीं दिया गया। जब रकम खत्म हो गई तो वहां से उसे कोटा चिकित्सालय में भेज दिया। यहां पर 40 हजार रुपए खर्च होने के बाद दोनों हाथ व पैर काटने पड़े।
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किसी ने नहीं दिया मुआवजा
भैरूलाल खेत पर हाली लगकर अपने परिवार का पालन करता था। हादसे के बाद अब उसके परिवार के सामने अर्थिक संकट आ गया। जयपुर विद्युत वितरण निगम व कृषि उपज मंडी समिति ने उसकी एक पैसे की भी मदद नहीं की है।
यह मामला जयपुर विद्युत वितरण निगम का है। गरीब श्रमिक के हाथ पैर निगम के तार के करंट लगने से कटे है। मुआवजा निगम को देना चाहिए। कृषि उपज मंडी समिति अपने स्तर पर कुछ नहीं कर सकती है। आवेदन आएगा तो विचार किया जाएगा।
नरेन्द्र कुमार स्वर्णकार, सचिव कृषि उपज मंडी समिति केशवरायपाटन
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मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। कनिष्ठ अभियंता से इस बारे में जानकारी लेकर ही कुछ कह सकता हूं। यहां अभी ड्यूटी पर आया हूं। मामले को दिखवाया जाएगा।
राजेन्द्र कुमार, सहायक अभियंता, जयपुर विद्युत वितरण निगम केशवरायपाटन