खानपुर निवासी समाजसेवी महावीर जैन कहते हैं कि मेगा हाइवे के निर्माण के समय चीकली के खतरनाक घूम को सीधा करना चाहिए था। साथ ही सूमर बाइपास का घूम भी सीधा नहीं किया जा सका। इस घूम पर करीब चार वर्ष पूर्व एक घटना में पांच लोगों की मौके पर ही मौत हुई थी। जबकि चीकली के घूम पर भी कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। सबसे ज्यादा नुकसान दुपहिया वाहन चालकों को हुआ है।
मोईकलां के व्यापारी पवन गोयल बताते हैं कि बपावर खुर्द के पास व बोरदा एवं खैराली घूम पर ही सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं होना सामने आया है। रोड बनाते समय निर्माण कम्पनी का प्रयास था कि कुछ घूम ठीक कर दिए जाएं। लेकिन जनता ने विरोध किया तो उन्होंने पुराने रोड पर ही मेगा हाइवे का निर्माण कर दिया। एक दशक पूर्व हुई भूल की वजह से लोगों को हमेशा परेशानी आ रही है।
विकास मिला, जख्म भी
बपावर निवासी रवि गुप्ता कहते हैं कि मेगा हाइवे बनने से क्षेत्र के विकास को गति तो मिली है लेकिन दुर्घटनाएं जख्म दे रही हैं। ज्यादा मौतें दुपहिया वाहन चालकों की हुई है। रात के समय वन्यजीवों की वजह से भी कई लोगों की जान गई है। हरिण व नीलगाय से टकराकर कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है।
इसी तरह बारां निवासी देवेन्द्र कुमार शर्मा कहते हैं कि बारां-झालावाड़ मेगा हाइवे पर मुख्य रूप से कलमण्डा चौराहा, बोरदा घूम, खैराली मोड, चीकली व सूमर गांव की घूम व मण्डावर गांव के चौराहे पर ज्यादा दुर्घटनाएं हुई हैं। हालांकि रोड निर्माण के पहले 5 वर्ष में जितनी दुर्घटनाएं हुई उसके मुकाबले बाद के 5 वर्षों में कुछ कमी आई है।