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कोटा के कर्मचारियों के आगे राजस्थान सरकार ने क्यों टेक दिए घुटने…पढि़ए खास खबर पौराणिक मान्यताओं में माना जाता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपने हाथ की छोटी उंगली पर उठा लिया था और पूरे वृंदावन गांव को भारी बारिश व तूफान से बचाया और अभिमानी इंद्र का घमंड चूर-चूर किया। तब से ही लोग गिरिराज गावर्धन की पूजा करने लगे हैं। भारतीय लोकजीवन में इस पर्व का खास महत्व है। गोवर्धन पर्व पर गायों की पूजा की जाती है। गाय उसी तरह पवित्र होती है जैसे नदियों में गंगा। गाय के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए ही कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोवर्धन की पूजा की जाती है।
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OMG: खून की प्यासी हैं यह सड़कें, हर महीने इतने लोगों का बहता है खून, जानकर आपका भी दिल दहल जाएगाइस दिन के लिए मान्यता प्रचलित है कि भगवान कृष्ण ने वृंदावन धाम के लोगों को तूफानी बारिश से बचाने के लिए पर्वत को अपने हाथ पर उठा लिया था और सभी को अपनी गाय सहित पर्वत के नीचे शरण लेने को कहा। इससे इंद्र देव और क्रोधित हो गए और बारिश की गति तेज कर दी। इंद्र लगातार रात- दिन मूसलाधार बारिश करते रहे। काफी समय बीत जाने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि कृष्ण कोई साधारण मनुष्य नहीं है।
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Diwali Special: अगर दीपावली को यह जानवर दिखे तो समझ लीजिए आपके घर आने वाली है मां लक्ष्मीजब वह ब्रह्माजी की शरण में गए तब उन्हें पता चला की श्रीकृष्ण हरि विष्णु के अवतार हैं। यह सुनकर इंद्र को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने भगवान कृष्ण से माफी मांगी। इसके बाद इन्द्र ने कृष्ण की पूजा की और उन्हें भोग लगाया। तभी से गोवर्धन पूजा की परंपरा कायम है। मान्यता है कि इस दिन गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा-अर्चना करने से भगवान कृष्ण प्रसन्न होते हैं।