राजस्थान पत्रिका ने अक्टूबर 2019 में खबर प्रकाशित कर पंचायत समिति सांगोद में 707, खैराबाद के 150 और इटावा में कराए गए 726 विकास कार्यों में बड़े पैमाने पर हुए घोटालों का खुलासा किया था। खबर छपते ही मुख्यमंत्री ने जिला परिषद के अफसरों को विकास कार्यों की जांच कराने के आदेश जारी कर दिए, लेकिन घोटाले में लिप्त कर्मचारियों और अफसरों को बचाने के लिए परिषद प्रशासन ने स्टाफ की कमी का बहाना बना जांच से पल्ला झाड़ लिया। पत्रिका ने पांच दिसंबर 2019 को ‘मुख्यमंत्री ने दिए जांच के आदेश, अफसर बोले स्टाफ नहीं हैÓ खबर प्रकाशित की तो मनरेगा आयुक्त ने बूंदी, झालावाड़ और बारां जिले के अफसरों की संयुक्त टीम गठित कर तीनों पंचायत समितियों में 202 विकास कार्यों की जांच कराई।
मनरेगा में महाघोटाला संयुक्त टीम की जांच में तीनों पंचायतों में कराए गए विकास कार्यों के घोटालों की पूरी परतें ही खुल गईं। जांच में खुलासा हुआ कि खैराबाद पंचायत समिति के गांव गादिया, लक्ष्मीपुरा, घाटोली और देवलीकलां में तय मूल्यांकन से 3,74,711 रुपए अधिक के काम करा दिए गए। कुंभकोट, गादिया, घाटोली, लक्ष्मीपुरा, अरनिया कलां, देवलीकलां, सलावदखुर्द और खेड़ारूधा में सक्षम स्वीकृति के बिना ही 11,68,579 रुपए के काम कराए गए। इस पंचायत में ऐसे मस्टररोल भी पकड़े गए जिनका बैंक कर्मियों से सत्यापन करवाए बिना ही 16,78,447 रुपए का संदेहास्पद और अनियमित भुगतान कर दिया गया। देवली कलां में अनुमोदित बीएसआर दर से अधिक दर का गलत तकमीना तैयार कर विकास कार्य कराए गए। जिस पर 1,94,167 रुपए का अनियमित भुगतान किया गया। खैराबाद की अधिकांश ग्राम पंचायत के रिकॉर्ड में कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र नहीं पाए गए। जिन कामों के पूर्णता प्रमाण पत्र मिले भी तो वह या तो अपूर्ण थे या फिर संबंधित सहायक अभियंता ने जारी नहीं किए थे।
कदम दर कदम घोटाला संयुक्त टीम ने सांगोद पंचायत समिति के 90 कामों की जांच की। जिसमें 2,65,540 रुपए का अधिक समायोजन पाया गया। वहीं इटावा पंचायत समिति में कनिष्ठ तकनीकी सहायक के दस्तखतों के बिना अनियमित मस्टररोल मिले। आयुक्त ईजीसी पीसी किशन ने जिला कलक्टर और जिला परिषद की सीईओ को कनिष्ठ तकनीकी सहायक लोकेश अग्रवाल और पंचायत समितियों के लेखाकारों से अनियमिति रूप से किए गए 36.81 लाख रुपए की वसूली करने एवं इनके साथ साथ संबंधित विकास अधिकारियों सहायक लेखाधिकारी और कार्य पर्यवेक्षणकर्ताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का आदेश जारी किया है।
मनरेगा आयुक्त के आदेश पर तीन जिलों की संयुक्त जांच टीम ने ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के 202 कार्यों की जांच की थी। जिसमें अनियमित भुगतान का खुलासा हुआ है। आयुक्त ने संबंधित कार्मिकों से रिकवरी कर उनके खिालफ विभागीय कार्यवाही करने के निर्देश जारी किए हैं।
प्रतिभा देवठिया, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद कोटा