
हाबुलाल शर्मा/हेमंत सुमन
Rajasthan News: कहते हैं कि शहद पृथ्वीवासियों को माधुर्य से परिचित कराने वाला पहला पदार्थ था। काफी समय बाद मनुष्य ने मधुमक्खी पालन आरम्भ किया। अब मधुमक्खी पालन ऐसा उद्योग बन गया है, जिससे रोजगार के अवसर जुटाने की असीम सम्भावनाएं हैैं। कृषि अनुसंधान केन्द्र की मदद से किसानों में कोटा जिले में मधुमक्खी पालन के प्रति रुझान बढ़ा है। इसका नतीजा यह रहा कि जिले में हर साल 6 टन शहर का उत्पादन हो रहा है। जिले में बड़े पैमाने पर मधुमक्खी पालन किया जा रहा है। यह बेरोजगार युवाओं के लिए लाभदायक साबित हो रहा है तो वहीं किसानों के लिए भी वरदान साबित हो रहा है।
सर्दी का मौसम शुरू होते ही क्षेत्र में इन दिनों मधुमक्खी पालकों ने जिले में विभिन्न स्थानों पर डेरा जमाना शुरू कर दिया है। क्षेत्र में जगह-जगह खेतों व सड़क किनारे मधुमक्खियों की कॉलोनियां नजर आने लगी हैं। पहले यहां मधुमक्खी पालन के लिए अन्य जिलों व राज्यों से लोग आते थे। अब क्षेत्र के युवा भी इस व्यवसाय से जुड़ गए हैं। शहद व्यापारी मधुमक्खी पालकों से सम्पर्क कर घर बैठे शहर ले जाते हैं जिससे शहद के विक्रय में भी ज्यादा परेशानी नहीं आती। इसी का नतीजा है कि जिले में हर साल मधुमक्खियों की कॉलोनियां का विस्तार हो रहा है।
प्रोसेसिंग यूनिट भी लगी
जिले में कृषि महाविद्यालय उम्मेदगंज में शहद की प्रोसेसिंग यूनिट लगी हुई है। जहां जिलेभर के शहद उत्पादक किसान कच्चा शहद लेकर आते हैं। इसी तरह कुछ किसानों से कृषि विज्ञान केन्द्र में प्रशिक्षण लेने के बाद स्वयं की प्रोसेसिंग यूनिट डाली है। जिसमें किसान नरेन्द्र मालव ने लाडपुरा तहसील के चारचौमा क्षेत्र स्थित गंगावत में प्रोसिंग यूनिट लगा रखी है और साथ ही मधुमक्खी बॉक्स भी रखते हैं।
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इसलिए बढ़ रहा किसानों का रुझान
उप निदेशक उद्यान आनंदीलाल मीणा ने बताया कि कोटा जिले में अभी करीब 100 किसान शहद का उत्पादन कर रहे हैं। जिले में सालाना 6 टन शहर का उत्पादन हो रहा है। मुनाफा अधिक होने से किसानों का रुझान लगातार बढ़ रहा है।
Published on:
25 Nov 2023 01:05 pm
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