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कोटा

ये अस्पताल है या ‘भूल-भुलैया’, सब-कुछ मौजूद, मिलता कुछ नहीं

चिकित्सा मंत्री की हेल्प डेस्क, लेकिन मरीजों की हेल्प नहीं, एक्सरे मशीन खराब- ईसीजी के लिए मरीज को आना पड़ता है

कोटाJan 20, 2020 / 06:34 pm

mukesh gour

ये अस्पताल है या 'भूल-भुलैया', सब-कुछ मौजूद, मिलता कुछ नहीं

ये अस्पताल है या ‘भूल-भुलैया’, सब-कुछ मौजूद, मिलता कुछ नहीं

कोटा. संभाग के सबसे बड़े एमबीएस अस्पताल की इमरजेंसी सेवाओं का भगवान ही मालिक है। ओपीडी समय के बाद अस्पताल आने वाले मरीज इमरजेंसी में जानकारी के अभाव में घंटों इधर से उधर भटकते हैं, जबकि यहां पूछताछ केंद्र व चिकित्सा मंत्री हेल्प डेस्क बना रखी है, लेकिन मरीजों व तीमारदारों को जानकारी देने वाला एक भी कर्मचारी यहां नहीं है। पत्रिका संवाददाता ने दोपहर 2 से 3.30 बजे तक अस्पताल में बिताए और मरीजों को मिलने वाली इमजेंसी सेवाओं का रियलिटी चेक किया।
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डॉक्टर रूम में ‘मंत्री हेल्प डेस्क’
अस्पताल के इमरजेंसी रूम कमरा नम्बर-125 के बाहर चिकित्सा मंत्री हेल्प डेस्क का बोर्ड लगा है, लेकिन हेल्प डेस्क कहीं नजर नहीं आती। कमरा नम्बर-125 में इमरजेंसी ड्यूटी डॉक्टर मरीजों को देखते है। यहां ना तो चिकित्सा मंत्री हेल्प डेस्क नजर आई ना ही मरीज व तीमारदारों की मदद करने वाला कोई कार्मिक। यही हाल पूछताछ केंद्र का भी है। यहां केवल पूछताछ केंद्र का बोर्ड लगा है, लेकिन कार्मिक नहीं मिले। कुछ समय पहले अस्पताल प्रशासन ने पूछताछ केंद्र पर नर्सिंगकर्मी तैनात किए थे, लेकिन वो व्यवस्था भी फेल नजर आई।
इमरजेंसी एक्सरे मशीन खराब, सूचना चस्पा नहीं
अस्पताल के कमरा नम्बर-130 में इमरजेंसी एक्सरे की सुविधा है, लेकिन यहां दो दिन से मशीन खराब है। कमरे के बाहर मशीन खराब होने की कोई भी सूचना चस्पा नहीं है। ऐसे में बिना जानकारी के घंटों मरीज यही खड़े रहते हैं।
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भर्ती मरीज भी परेशान
इमरजेंसी वार्ड में भर्ती गंभीर मरीज की वार्ड में ही ईसीजी की जाती है, लेकिन अस्पताल में हाल बेहाल है। यहां मरीज को ईसीजी करवाने के लिए भी खुद ईसीजी कक्ष में आना पड़ता है। पाटनपोल निवासी जुबेदा मेडिसिन इमरजेंसी में भर्ती है। उनको व्हीलचेयर पर बिठाकर परिजन ईसीजी कक्ष तक लेकर पहुंचे। मरीज के हाथों में ड्रिप लगी थी।
ऐसे समझें मरीजों की पीड़ा…
1. अभयपुरा निवासी रामकल्याण को पैरों में तकलीफ थी। परिजन खुद सुबह 11 बजे उसे लेकर एमबीएस अस्पताल पहुंचे, लेकिन वह भी मरीज को भर्ती कराने को लेकर इधर-उधर भटकते रहे। दोपहर 3 बजे संवाददाता इनके पास पहुंचा और ट्रॉली चालक को बुलाकर उन्हें भर्ती करवाया गया।
2. पाटनपोल निवासी जुबेदा मेडिसिन इमरजेंसी में भर्ती है। उनकी ईसीजी करवाने परिजनों को खुद ईसीजी कक्ष में आना पड़ा, जबकि इमरजेंसी वार्ड में ही भर्ती मरीजों की ईसीजी होनी चहिए, लेकिन नहीं हो रही। नियमानुसार यदि ईसीजी नहीं भी होती तो वार्ड बॉय का साथ होना चहिए, वह भी मौजूद नहीं था।
3. बारां निवासी पवन स्टै्रचर पर लेटा था। पहले ईसीजी में एक घण्टे तक इंतजार किया, फि र सीटी स्कैन के लिए भेजा। वहां से आने के बाद यह नहीं बताया कि उसे कौन से वार्ड में भर्ती करना है, दोपहर तीन बजे बाद फि र इमरजेंसी के बाहर ही खड़ा कर दिया। परिजन संवाददाता के सामने मरीज के मरने जैसे स्थिति होने की सूचना देने पर ट्रॉली चालक बंटी को बुलाकर उसे वार्ड में भर्ती कराया।
4. सकतपुरा की किरण को कमर दर्द होने पर इमरजेंसी में एक्सरे करवाने आना पड़ा, लेकिन कमरा नंबर 130 में इमरजेंसी एक्सरे कक्ष में मशीन दो दिन से बंद बताई गई। उसके बाद 140 नंबर के कमरे में जाना पड़ा। पहले तो वहां भी मना कर दिया, लेकिन बाद में एक कर्मचारी ने इमरजेंसी में मशीन बन्द होने का हवाला देकर एक्सरे करवाया।
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मरीज पवन, रामकल्याण, जुबैदा व किरण तो केवल बानगी है। अस्पताल आने वाले ऐसे कई मरीज हैं, जिन्हें ये पता नहीं रहता कि एक्सरे कहां होता है, भर्ती वार्ड कहां है, सीटी स्कैन कहां होती है, जांचें किधर होती हैं। जानकारी के अभाव में तीमारदार मरीज को लेकर इधर से उधर घंटे तक भटकते रहते है। पूछताछ केंद व चिकित्सा मंत्री हेल्प डेस्क पर जानकारी देने वाला कोई नजर नहीं आया।
इमरजेंसी की कमियों को दुरुस्त करेंगे
अस्पताल की इमरजेंसी सेवाओं की कमियों को दुरस्त किया जाएगी। हाईवोल्टेज आने के कारण लाइन बंद हो गई। इस कारण इमरजेंसी कक्ष की एक्सरे मशीन नहीं चल रही, लेकिन वैकल्पिक तौर पर एक्सरे कक्ष में मरीजों के लिए अलग से व्यवस्था है। पूछताछ केन्द्र पर बैठने के लिए कर्मचारी के लिए पाबंद करेंगे।
डॉ. नवीन सक्सेना, अधीक्षक, एमबीएस अस्पताल

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