यह सेंटर नए अस्पताल के तृतीय फ्लोर पर तैयार हो रहा है। सेंटर पर उपकरण आने के बाद यहां पर पहले चरण में बाहर से मास्टर ट्रेनर आकर नौ विभागों के परमविशेषज्ञ चिकित्सकों को मास्टर ट्रेनर बनाया जाएगा। वे चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ, पैरामेडिकल, पैराफेरी स्टाफ व आमजन को घायलों को बचाने का प्रशिक्षण देंगे।
नोडल ऑफिसर संजय कालानी ने बताया कि इस सेंटर पर जीवन रक्षक उपकरणों का उपयोग, जीवनरक्षक इलाज, वेंटिलेटर चलाना, ईसीजी, कार्डियक मॉनिटर, ऑक्सीजन, एनेथिसिया देना, सीपीआर देना, एम्बुलेंस से गंभीर घायलों का त्वरित उपचार करना, गले में ट्यूब डालने समेत इमरजेंसी उपचार का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
कोटा मेडिकल कॉलेज के न्यूरो सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एस.एन. गौतम ने बताया कि हाड़ौती समेत अन्य जिलों से सड़क हादसों में कई घायल कोटा आते है। ऐसे में घायल व्यक्ति अस्पतालों की इमरजेंसी में पहुंचते हैं। यदि सभी अस्पतालों में कुशल एवं दक्ष प्रशिक्षित विशेषज्ञ उपलब्ध हों तो घायलों को जीवन मिल सकता है। दुर्घटना के तीन घंटे में समुचित उपचार से रोगी की जान पर संकट को कुशल प्रबंधन से टाला जा सकता है।
3000 घायल हर साल कोटा मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों में आते है।
60 प्रतिशत सड़क दुर्घटना के होते।
1000 हैड इंजरी के होते है।
2000 हाथ-पैरों में फै क्चर
20 प्रतिशत ऊंचाई, कुएं, खम्भे, सीढिय़ों से गिरने के केस
10 से 15 प्रतिशत मारपीट के आते है।
2 से 5 प्रतिशत बस, नाव पलटना, मकान ढहने के केस आते है।
नेशनल इमरजेंसी लाइफ सेविंग स्किल डवलपमेंट सेंटर का निर्माण कार्य शुरू हो गया है। केन्द्र सरकार की ओर से प्रथम चरण में 1 करोड़ 40 लाख की राशि जारी हुई है। पीडब्ल्यूडी को कार्यकारी संस्था बनाया गया। 26 मई तक निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा। सेंटर पर घायलों को बचाव की जिंदगी का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
– डॉ. विजय सरदाना, प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज कोटा