पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने 3 नवंबर 2009 को फ्लाई एश नोटिफिकेशन के जरिए सभी सरकारी विभागों को आदेश जारी किया था कि भवन निर्माण सामग्री में फ्लाई एश का इस्तेमाल सुनिश्चित करवाएं नोटिफिकेशन में ब्रिक, ब्लॉक और टाइल्स (बीबीटी इंडस्ट्रीज), सीमेंट, क्ले बेस्ड बिल्डिंग मटेरियल के निर्माण में फ्लाई एश का इस्तेमाल अनिवार्य किया गया था। साथ ही सड़क और पुल निर्माण में मिट्टी की जगह फ्लाई एश से भराव कराने के भी आदेश दिए थे।
कोटा थर्मल के चीफ इंजीनियर एचबी गुप्ता का कहना है कि फ्लाई एश लेने के लिए हमारे पास 108 आवेदन आए हैं। इन्हें पंजीकृत करने और एनओसी देने की प्रक्रिया जारी है। जल्द ही फ्लाई एश का आवंटन और उसे उठाने की मंजूरी जारी कर दी जाएगी।
फ्लाई एश आधारित उद्योगों को समान रूप से फ्लाई एश का बंटवारा करने के लिए नोटिफिकेशन में थर्मल प्लांटों को आदेश दिए गया था कि वह बीबीटी इंडस्ट्रीज और सिविल कांट्रेक्टर्स का पंजीकरण करें। पंजीकरण आवेदन में फ्लाई एश की खपत पूछी जाए और उसके मुताबिक उपलब्ध स्टॉक से राख उठाने का अधिकार-पत्र और एनओसी जारी किया जाए। बिना एनओसी के डाइक से फ्लाई एश न उठाने देने का भी आदेश दिया गया था।
नोटिफिकेशन जारी होने के बाद कोटा और आसपास के इलाके
में स्थापित 108 बीबीटी इंडस्ट्रीज ने फ्लाई एश उठाने के लिए आवेदन किया, लेकिन थर्मल प्रशासन इन आवेदनों पर कुंडली मारकर बैठा है।
सीमेंट, भवन निर्माण की कंक्रीट, गारा और प्लास्टर, पेविंग ब्लॉक्स, पेविंग टाइल्स, चेकर टाइल्स, मोजेक टाइल्स, रूफिंग शीट्स, प्री-कॉस्ट एलीमेंट और वह उत्पाद जिसमें सीमेंट का इस्तेमाल होता है। क्ले बेस्ड बिल्डिंग मटेरियल, क्ले ब्रिक, क्ले ब्लॉक, क्ले टाइल्स फ्लाई एश ब्रिक, ब्लॉक्स, टाइल्स आदि