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कोटा

जीवन बचाने की मशक्कत, 36 वार्मर पर 65 शिशुओं का हो रहा उपचार

एक वार्मर पर दो से तीन शिशु भर्ती हैं। इससे संक्रमण होने का खतरा बना हुआ है। अस्पताल में एनआईसीयू में 24 वार्मर पर 50 बच्चे भर्ती हैं। जबकि पीआईसीयू में 12 वार्मर पर 15 बच्चे भर्ती हैं।

कोटाSep 24, 2020 / 09:48 am

Jaggo Singh Dhaker

JK Lon Hospital

कोटा. जेकेलोन अस्पताल में नवजातों के लिए पर्याप्त वार्मर उपलब्ध नहीं है। एक वार्मर पर दो से तीन शिशुओं को रखना पड़ रहा है।

कोटा. कोटा मेडिकल कॉलेज के जेकेलोन अस्पताल में नवजातों के लिए पर्याप्त वार्मर उपलब्ध नहीं है। इस कारण एक वार्मर पर दो से तीन शिशुओं को रखना पड़ रहा है। अस्पताल प्रशासन सीमित संसाधनों के चलते शिशुओं की जान बचाने के लिए कड़ी मशक्कत कर रहा है। डॉक्टर दिन रात मेहनत कर रहे हैं, लेकिन संसाधन कम पड़ रहे हैं। पिछले साल बच्चों की मौत के बाद देशभर में हंगामा हुआ। सरकार तक हिल गई, लेकिन अस्पताल के हालात अब तक नहीं सुधरे है। अस्पताल में अभी भी एक वार्मर पर दो से तीन शिशु भर्ती हैं। इससे संक्रमण का खतरा बना हुआ है। अस्पताल में एनआईसीयू में 24 वार्मर पर 50 बच्चे भर्ती हैं। जबकि पीआईसीयू में 12 वार्मर पर 15 बच्चे भर्ती हैं।
इस कारण बढ़ रहा भार
अस्पताल में वैसे प्रतिदिन 25 से 30 डिलेवरी होती है। करीब 20 प्रतिशत बाहर से रैफरल बच्चे आते है। कोरोना के डर के चलते सामान्य बीमारियों के बच्चे तो नहीं आ रहे हैं, लेकिन गंभीर बीमारियों के रैफर बच्चे ज्यादा आ रहे हैं। इसके अलावा नवीन चिकित्सालय में एक यूनिट संचालित होती थी। वहां करीब 8 बेड की एनआईसीयू व 6 बेड की पीआईसीयू थी, लेकिन वहां कोविड रोगी भर्ती होने के कारण वह बंद करनी पड़ी। इसलिए जेकेलोने पर भार बढ़ गया है।
इन बीमारियों के बच्चे रहते हैं भर्ती

एनआईसीयू में 0 से 1 माह तक के न्यू बोर्न बेबी को भर्ती किया जाता है। इनमें प्री-मैच्योर, सांस, न्यूमोनिया, दिल में छेद वाले शिशुओं को भर्ती किया जाता है।
पीआईसीयू में 1 माह से अधिक उम्र के बच्चों को भर्ती किया जाता है। इनमें न्यूमोनिया, दिल के छेद, इन्फे क्शन, एलर्जी, लीवर, दिमागी बुखार से पीडि़त शिशु शामिल हैं।
रैफरल बच्चों के आने से अस्पताल में वार्मर की कमी है। 12 बेड का एनआईसीयू बनकर तैयार हो चुका है। वहां स्टाफ व अन्य संसाधन जुटा रहे हैं। इसके अलावा 174 बेड का अलग से ब्लॉक भी बन रहा है।
-डॉ. गोपीकिशन, उपाधीक्षक, जेके लोन अस्पताल

वार्मर की कमी है तो शिशु रोग विभाग हमें लिखकर दे। हम सरकार से मांग करेंगे। जगह की कमी बनी हुई है। 12 बेड का एनआईसीयू बन रहा है। उसमें एसी की जरूरत है। बीपीसीएल की तरफ से सीएसआर में लगने थे, लेकिन वे पीछे हट गए हैं। अब सरकार को प्रस्ताव बनाकर भिजवाएंगे।
– डॉ. एससी दुलारा, अधीक्षक, जेके लोन अस्पताल

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